जानिए टमाटर में लगने वाले प्रमुख रोग और इसके रोकथाम के आसान तरीके -Tomato
टमाटर भारत की प्रमुख फसल में से एक है। अपने प्रमुख गुणों और अलग - अलग तरह के उपयोग के कारण टमाटर सबसे महत्वपूर्ण सब्जी में से एक है। बहुत से लोग तो टमाटर (Tomato) के बिना सब्जी की कल्पना भी नही कर सकते| इसमें भरपूर मात्रा में कैल्सियम, फास्फोरस और विटामिन सी पाए जाते है| यह एसिडिटी की सिकायत को दूर करता है| इसका स्वाद खटा होता है| इसकी खेती करना भी बहुत आसान है साथ ही साथ सितम्बर महीने में इसकी खेती करने पर बहुत अच्छा मुनाफा होता है। लेकिन कभी - कभी यह भी देखा गया है कि टमाटर में अक्सर बरसात की वजह से इसमें रोग लगने के चांस भी बढ़ जाते है। टमाटर के अच्छे उपज के लिए हम इसकी रुपाई करते है इसके साथ - साथ समय पर इसकी निराई - गुड़ाई भी करते रहने चाहिए। जिससे खरपतवार ख़त्म हो जाते है और रोग लगने के चांस भी कम होता है। लेकिन इन सब के बावजूद में इसमें रोग का हमला हो ही जाता है , जिससे फसल पूरी तरह से नष्ट हो जाती है। इस लिए आज हम आपको इस ब्लॉग में बतानें वाले है कि टमाटर की फसल में लगने वाला प्रमुख रोग कौन सा है और इसे ख़त्म कैसे किया जा सकता है।
टमाटर के फसल में लगने वाले प्रमुख रोग और उनका उपचार
नीचे हमने बताया हुआ है कि टमाटर की फसल में लगने वाले रोगों और उनके उपचार के लिए क्या कर सकते है।- फफूंद जनित रोग (Fungal) अक्सर मौसम में बदलाव के कारण टमाटर में फफूदी नामक रोग का प्रकोप अधिक हो जाता है , जिससे धीरे - धीरे फसल बर्बाद होने लगती है। बारिश के मौसम में अधिक नमी होने के कारण भी इस तरह के रोग का प्रकोप बढ़ जाता है। इसकी वजह से टमाटर की फसल ख़राब होने लगती है। इस तरह के रोगों के कारण टमाटर की पैदावार और गुणवत्ता में भी काफी प्रभाव देखने को मिलता है। अगर आप भी कर रहे हैं टमाटर की खेती तो पौधों को विभिन्न फफूंद जनित रोगों से बचाने के लिए आपको टमाटर फसल की बुवाई के दौरान इसमें Kenzim (Metalaxyl 35% WS) और Ribban Plus (Captan 50% WP) का प्रयोग करना होगा। यह पूरी तरह से इस रोग को ख़त्म कर देता है। इसके साथ ही आपको GEEKEN CHEMICALS का बना हुआ यह कीटनाशक आपको बाजार में आसानी से मिल जायेगा।
- फल सड़न रोग (Fruit Rot)(Fungal) कभी कभी टमाटर की पौध में फल सड़न रोग भी लगने की सम्भावना हो जाती है। ऐसा तब होता है , जब भारी बारिश की वजह से टमाटर की क्यारियों में पानी का अत्यधिक जमाव हो जाता है। इस रोग से पके हुए फल अधिक प्रभावित होते हैं। जिसकी वजह से सड़े हुए भाग पर गोल छल्ले दिखने लगते हैं।रोग की शुरुआत में फल की निचली सतह सड़ने लगती है। ऐसे में फसलों में रोग नियंत्रण के लिए मानसून की वर्षा होने से पहले ही फसल पर Kenzim (Metalaxyl 35% WS) और Ribban Plus (Captan 50% WP) का प्रयोग करना चाहिए , जिससे इस रोग को जड़ से ख़त्म किया जा सकें।
- जीवाणु धब्बा (Bacterial Stain इस तरह के रोगों में टमाटर की फसल पर सबसे पहले धब्बे जैसा दिखाई पड़ता है , जो गहरे भूरे रंग का होता है। इस तरह के जीवाणु सबसे पहले टमाटर के पत्ते पर हमला कर उन्हें ख़त्म कर देते है। बक्टीरियल धब्बा रोगज़नक़ पौधे के सभी भागों पर घावों का उत्पादन कर सकते हैं जैसे पत्तियों, तन, फूल और फल । शुरू में यह बहुत ही छोटे और गोल आकर के होते है। घाव, पत्ती के किनारों और अग्र भाग पर 3-5 मिमी व्यास के आकार में वृद्धि करते हैं ।प्रभावित पत्तियां पर एक झुलस जैसी दिखाई देती है । स्पॉट अनेक हो जाते हैं तथा जब पत्ते पीले रंग बदल जाते हैं और अंत में पौधे के निचले हिस्से के पतझड़ होकर पौधा मर जाता है । आरम्भ में फलों के घावों केवल हरे फल पर शुरू कर होते हैं, अपरिपक्व फलों (जिनपर बाल पाये जाते हैं) पर संक्रमण की सबसे अधिक संभावना रहती हैं । फल पर पहला लक्षण छोटे गहरे भूरे रंग से काले धब्बे बनना शुरू होते हैं । इस तरह के रोग से बचाव के लिए टमाटर के पौधे पर Keemaxyl (Metalaxyl 35% WS) का प्रयोग करें। जो GEEKEN CHEMICALS के द्वारा बनाया हुआ प्रोडक्ट है और किसान लगातार इसपर अपना विश्वाश भी जाता रहें है।
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