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Showing posts from September, 2022

जैविक खेती क्या है ? , क्या हैं इसके लाभ, कैसे शुरू करें, जानिए इससे जुडी हुई जानकारी

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हमारे देश में दिन-प्रतिदिन जनसंख्या बढ़ रही है। बढ़ती जनसंख्या के लिए खाद्यान उत्पादन एक बड़ी समस्या है। इसके लिए किसान कई हानिकारक कीटनाशकों और तकनीक का इस्तेमाल करके फसल उगा रहे हैं। परन्तु रासायनिक खेती न केवल मानव जीवन के लिए अपितु समस्त जीव के लिए काफी हानिकारक है। ऐसे में जैविक खेती ही हमारे स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है। आखिर क्या है जैविक खेती ? जैविक खेती भारत के लिए नयी तरह की प्रक्रिया नहीं है इसकी खेती कई वर्ष पहले से भारत में होती आ रही है। इस तरह की खेती में हम किसी भी तरह का रासायनिक कैमिकल प्रयोग नहीं करते है। जैविक खेती का उद्देश्य पर्यावरण की शुद्धता बनाए रखने के साथ ही भूमि के प्राकृतिक स्वरूप को बनाए रखना है। जैविक खेती को ऑर्गेनिक खेती या देशी खेती भी कहते हैं। जैविक खेती एक ऐसी तकनीक है, जिसमें जैविक खाद, जैविक कीटनाशकों का उपयोग किया जाता है। इसमें रसायनों की कोई जगह नहीं होता है। इस तरह की खेती में केवल जैविक तत्वों का ही उपयोग किया जाता है। आसान भाषा में कहें तो जैविक खेती एक ऐसी तकनीक है, जिमसें मिट्टी को बिना किसी तरह का नुकसान पहुंचाए खेती की जाती है

अभी खेतों में कर दें इन सब्जियों की बुवाई, दीवाली पर होगी बंपर कमाई

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भारत के किसान अपनी खेती ज्यादातर महीने और दिनों के हिसाब से करते है। भारत में सब्जियां ज्यादातर मिट्टी , जलवायु और मौसम के हिसाब से पैदा की जाती है। अगर वर्तमान समय की बात किया जाये तो किसान खरीफ की फसल को ऊगा रहें है। इन सब्जियों में गाजर, मूली, चुकंदर, मटर, आलू, शलजम, अजवाइन, सलाद, पत्ता गोभी और टमाटर की फसल को हम नर्सरी के हिसाब से पैदा करते है। अक्टूबर के महीने में इन सब्जियों की खेती करने से कई फायदें है , जिसका जिक्र हम नीचे करंगे। अगर आप इन सब्जियों को सितम्बर माह के सम्पत होने तक बो देते है तो दीवाली पर आप अच्छा पैसा कमा सकते है। यह ऐसी सब्जियां है जो 30 -45 दिन में पक कर तैयार हो जाती है और किसान इससे अच्छा पैसा कमा सकते है। तो चलिए जानते है आज उन खास सब्जियों के बारें में। आप यह लेख GEEKEN CHEMICALS के द्वारा पढ़ रहें है। हम भारत में कई वर्षों से फसलों की अधिक पैदावार और उसमें लगे रोग के रोकथाम के लिए अलग - अलग तरह के केमिकल्स बना रहें है। भारत के किसान जीकेन केमिकल का प्रयोग करके अपने फसल की उत्पादन क्षमता को बढ़ा रहें है , साथ ही उसमें रोगों को लगने से भी बचा रहे

जानिए कब और कैसे करें तोरिया की खेती , जिसके है अनेकों फायदें

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इस बार मानसून जल्द आने की वजह से कृषि वैज्ञानिक तोरिया की कहती करने की सलाह दें रहें है।जिसके लिए कई राज्यों में किसानों को तोरिया के बीज उपलब्ध कराए जा रहे हैं। इसी क्रम में टीकमगढ़ कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों की ओर से गांव कोडिया में किसानों को तोरिया की खेती का प्रशिक्षण दिया गया। इसमें तोरिया की खेती की जानकारी दी गई। वैज्ञानिकों ने बताया कि खरीफ मौसम में शुरू में वर्षा कम एवं देर से होने पर जिले में अधिकांश गांवों में 10-15 प्रतिशत रकबा में फसल की बुवाई नहीं हो पाई है। ऐसी स्थिति में किसान खेतों में तोरिया जो सरसों की कम अवधि की फसल है इसे सितंबर में तीसरे सप्ताह तक बुवाई कर सकते हैं। उसके बाद नवंबर के अंतिम सप्ताह से दिसंबर के प्रथम सप्ताह तक गेहूं एवं जौ की बुवाई कर अधिक लाभ कमा सकते हैं। बता दें कि तोरिया कम समय में उगने वाली फसल हैं। तोरिया की खेती करके किसान कम खर्च में ज्यादा मुनाफा कमा सकता है यह रबी के मौसम में उगाये जानें वाली प्रमुख फसलों में से एक है।तोरिया की कुछ किस्में 85 से 90 दिन में पककर तैयार हो जाती है। जो खेत अगस्त के आखिर में ज्वार, बाजरा आदि चारे वा

घर पर पौधे की देखभाल करने के आसान उपाय , खिलते रहेंगे हमेशा पौधे

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आज कल लोग अपने घरों और गार्डन में पौधे लगानें के बहुत शौक़ीन है। लोग अपने बगीचे में तरह - तरह का पेड़ पौधा लगाते है। परन्तु कभी - कभी सही तरीके से जानकारी न हो पानें के कारण लोग जो खाद और पानी देते हैं वह ठीक से नहीं दे पाते है। इसलिए अक्सर ऐसा देखा गया है कि पौधे कुछ समय के बाद सूखनें लगते है। तो चलिए दोस्तों , आज हम बताते है कि पौधों को सूखने से कैसे बचाए। आप यह ब्लॉग GEEKEN CHEMICALS के द्वारा पढ़ रहें है। GEEKEN CHEMICALS अलग - अलग तरीके का कीटनाशक बनाकर किसान भाइयों की फसल और पेड़ पौधो को बचाता है। आप हमारे द्वारा बना हुआ कीटनाशक आसानी से अपने नजदीकी मार्केट में भी खरीद सकते है। जिससे आपकी भी फसल और पेड़ पौधो को सुरक्षा मिल सकें और फसल की पैदावार अच्छी हो सकें। भारत के किसान लगातार कई वर्षों से हमारे ऊपर अपना विश्वास जता रहें है। और पढ़े-: कपास की फसल को कीटों से बचानें के लिए करें यह उपाय , जिससे होगी अत्यधिक पैदावार पौधों को पानी कब देना चाहिए? दोस्तों सबसे ज्यादा जरुरी होता है पौधे को पानी देना। क्योंकि इसकी वजह से ही हमारे पौधे गार्डन में लहलहाते है। इसलिए हमें गा

यह आसान तरीका करेगा आपके धान में लगने वाले रोगों को खत्म , जानिए इसके प्रयोग की विधि

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हमारा भारत देश एक कृषि प्रधान देश है , यहाँ की आधे से ज्यादा जनसँख्या कृषि पर ही निर्भर है। वैसे तो भारत में कई तरह की फसल की खेती की जाती है लेकिन धान की खेती इन सब में प्रमुख है। अगर हम धान की खेती के बारें में बताएं तो यह भारत में पहले स्थान पर की जाती है। आप इससे ही अंदाजा लगा सकते है कि इसकी खेती कितने बड़े भाग में की जाती है। धान की एक प्रकार की खरीफ की फसल है। यह हमारे देश को लोगों का एक प्रमुख खाद्यान्न है। इसके अलावा मक्का के बाद जो फसल सबसे ज्यादा बोई जाती है वो धान है। धान की खेती में अक्सर कई तरह के कीट-बीमारियों के लगने का खतरा होता है। धान की फसल में लगने वाले प्रमुख रोगों और उनकी रोकथाम के तरीकों के बारे में आप इस लेख में जानेंगे। आप यह ब्लॉग GEEKEN CHEMICALS के द्वारा पढ़ रहें है आज हम अपने इस ब्लॉग में धान से जुड़े कुछ प्रमुख रोगों और उन्हें कैसे खत्म करें उसके बारें में बताएंगे। आप किसी भी तरह के कीटों , खरपतवार को खत्म करने के लिए हमारे द्व्रारा बना हुआ Chemical भी प्रयोग कर सकते है। धान की फसल में लगने वाले प्रमुख रोग झोंका/ब्लास्ट रोग इस रोग के बारें में अगर

बैंगन में लगने वाले कीटों को ख़त्म करने के लिए करें यह उपाय , जिसके है अनेकों फायदें

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सब्जियों की खेती में बैंगन एक महत्वपूर्ण फसल है | इसकी खेती बड़े पैमाने पर देश के लगभग सभी राज्यों में की जाती है | इसकी अच्छी खेती करने के लिए किसानों को मुख्यतः बीज, मिट्टी का चयन के अलावा कीट तथा रोग से बचाव पर ध्यान देना होता है | बैंगन के पौधों के तने तथा फल में तना छेदक कीट का प्रकोप रहता है | इसका प्रकोप रोपाई के कुछ दिनों के बाद ही दिखाई पड़ता है। जब यह बड़े होने लगते है तो , सबसे पहले यह पौधे पर अंडे देते है , जिसके बाद में लारवा निकलकर पौधे के तनों को नुकसान पहुंचाता है , जिसके बाद यह फलों को बढ़कर सड़ा देते है , जिससे किसान भाइयों को काफी नुकशान का सामना करना पड़ता है। आज आप यहाँ जानेंगे की कैसे बैगन में लगने वालें कीटों से छुटकारा पाया जा सकता है। आप यह लेख Geeken Chemicals India Limited के द्वारा पढ़ रहें है। GEEKEN एक Agrochemical Company है, जो हमारे देश के किसानों को फसल सुरक्षा उत्पादों की सर्वोच्च गुणवत्ता प्रदान करती है। हम किसानों की फसल सुरक्षा के लिए अलग - अलग तरह कीटनाशक का उपयोग कर उनके फसल की उत्पादन क्षमता को बढ़ाते है। आप हमारे द्वारा अपने खेती से जुडी सभी त

जानिए सरसों की फसल में लगने वाले प्रमुख रोग और ख़त्म करने का सबसे आसान तरीका

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सरसों की पैदावार बढ़ानें साथ ही उसे टिकाऊपन बनाने के मार्ग में जो सबसे बड़ी समयस्या आती है वह है रोगों की समस्या , जिसकी वजह से फसल को बहुत ज्यादा नुकशान पहुँचता है। जिसकी वजह से सरसों की पैदावार कम हो जाती है। यदि समय से इसकी सुरक्षा कर दी जाये तो इन रोगों को खत्म किया जा सकता है साथ ही सरसों की पैदावार को भी बढ़ाया जा सकता है। अगर सरसों में लगने वाले प्रमुख कीटों की बात किया जाये तो चेंपा या माहू, आरामक्खी, चितकबरा कीट, लीफ माइनर, बिहार हेयरी केटरपिलर प्रमुख कीट है। जो फसल को बर्बाद कर देते है। वहीँ अगर इसमें लगने वाले रोगों की बात किया जाये तो सफेद रतुआ, मृदुरोमिल आसिता, चूर्णिल आसिता एवं तना गलन प्रमुख रोगों में से एक है। प्रमुख रोग सफेद रतुवा या श्वेत किट्ट इस रोग के कारण 23-55 प्रतिशत तक नुकसान होता है। सरसों के अतिरिक्त यह रोग मूली, शलजम, तारामीरा, फूलगोभी, पत्तागोभी, पालक और शकरकंद पर भी पाया जाता है। इसमें आप Kenzeb (Mancozeb 75% WP) और Elentra (Mancozeb 64% + Metalaxyl 8% WP) का प्रयोग कर सकते है। यह कीटनाशक जब भी लेने जाएँ तो GEEKEN CHEMICALS का बना हुआ प्रो

जानिए कैसे आलू की पछेती झुलसा रोग की करें रोकथाम

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आलू को हम सब्जियों का राजा कहते है। आलू विश्व की एक महत्तवपूर्ण सब्जियों वाली फसल है। यह एक सस्ती और आर्थिक फसल है, जिस कारण इसे गरीब आदमी का मित्र कहा जाता है। आलू की फसल को हम लगभग भारत के सभी राज्यों में उगाते है। भारत में ज्यादातर उत्तर प्रदेश, पश्चिमी बंगाल, पंजाब, कर्नाटका, आसाम और मध्य प्रदेश में आलू उगाए जाते हैं। आलू की खेती अगेती या पिछेती यह झुलसा रोक के प्रति संवेदनशील होती है। आलू की फसल को सर्वाधिक नुकसान भी इसी रोग से पहुंचता है। आम तौर पर यह रोग दिसंबर के महीने में फसल में लगता है लेकिन इस बार बेमौसम बरसात से इस रोग का खतरा अभी से शुरू हो गया है। कहीं कहीं अगेती फसलों में इसके लक्षण भी मिले हैं। ऐसे में विशेषज्ञों का मानना है कि तत्काल प्रबंधन कर किसान रोग से होने वाली क्षति को रोक सकते है। नहीं तो यह रोग उत्पादन को बुरी तरह प्रभावित कर सकता है। आखिर क्या है आलू की पछेती झूलसा रोग ( late blight of potato in hindi) इसी से सम्बंधित है हमारा आज का यह आर्टिकल। तो चलिए विस्तार से जानते है आलू की इस महत्वपूर्ण रोग को। क्या है पछेती झुलसा रोग आलू के पछेती झुलसा रोग को

गन्ने में लग गया लाल सड़न रोग तो किसान न हो परेशान , यहाँ पर जानिए इस रोग को खत्म करने का आसान तरीका

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गन्ना भारत के प्रमुख फसल में से एक है। गन्ने की फसल से हम कई चीजें तैयार करते है। लेकिन कुछ समय से गन्ने के उत्पादन में कमी देखने को मिल रही है, जिसकी वजह से किसान भाई अक्सर चिंतित रहते है। गन्ने की फसल में कमी के कई कारण है जैसे कभी - कभी अच्छे से गन्ने को पानी न मिलना , सही तरीके के उर्वरक का प्रयोग न होना , साथ ही खरपतवार और कीटों का प्रकोप भी बढ़ जाता है। गन्ने की फसल में लगने वाले प्रमुख रोग लाल सड़न, उकठा, कंडवा हैं। उपरोक्त रोगों में से लाल सड़न रोग गन्ने में लगने वाला सबसे हानिकारक रोग है। इसको गन्ने का कैंसर भी कहते हैं। यह दुनिया के सभी गन्ना उगाने वाले देशों में व्यापक रूप से लगने वाला मुख्य रोग है। इसका प्रकोप किसी जगह कम या ज्यादा हो सकता है। देश में गन्ने का औसत उत्पादन 69.7 टन प्रति हैक्टर तथा चीनी प्राप्ति 10.62 प्रतिशत है, जिससे लगभग 25.12 मिलियन टन सफेद चीनी का उत्पादन होता है। एक आकलन के अनुसार वर्ष 2030 तक घरेलू मांग को पूरा करने के लिए 33 मिलियन टन चीनी उत्पादन की आवश्यकता होगी। इस मांग को पूरा करने के लिए गन्ने के उत्पादन को 520 मिलियन टन तथा औसत उत्पादकता को 1

सोयाबीन की खेती कैसे करें और इसमें लगने वाले रोग और उनसे बचाव के उपाय

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सोयाबीन भी प्रमुख फसलों में से एक है। भारत में इसकी खेती भी बड़े पैमाने में की जाती है। यह विश्व में लगभग 25 % वानस्पतिक तेल की मांग को पूरा करता है। इसका तेल बहुत ही उच्च गुणवत्ता का होता है। भारत में भी इसका उपयोग अधिकांशतः वानस्पतिक तेल के लिए ही होता है, मध्यप्रदेश में सोयाबीन खरीफ की एक प्रमुख फसल है।देश में सोयाबीन उत्पादन में मध्यप्रदेश अग्रणी है, आज हम जानेंगे की सोयाबीन की खेती कैसे करें। इसमें लगनें वाले रोग कौन - कौन से है और इनसे कैसे बचाया जाये। सोयाबीन की बुवाई सोयाबीन की बुवाई अक्सर जुलाई-अगस्त महीने में शुरू होती है। ऐसे में किसान भाई अच्छी पैदावार के लिए उन्नत किस्म की बीजों के द्वारा इसकी बुवाई करता है। सोयाबीन के किसानों को अच्छे भाव मिलते हैं क्योंकि सोयाबीन से तेल निकाला जाता है। इसके अलावा सोयाबीन से सोया बड़ी, सोया दूध, सोया पनीर आदि चीजें बनाई जाती है। बता दें कि सोयाबीन तिलहनी फसलों में आता है और इसकी खेती देश के कई राज्यों में होती है। विशेषकर मध्यप्रदेश में इसकी खेती प्रमुखता से की जाती है। वहीं अगर पुरे भारत की बात किया जाये तो 12 मिलियन टन उत्

मिर्च की फसल में लगने वाले प्रमुख रोग और उनके रोकथाम का आसान तरीका

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आर्द्रगलन रोग (डेम्पिंग ऑफ) लक्षण - यह मिर्च में एक प्रमुख रोग है, जो पौधशाला में आता है| इस रोग का कारक एक भूमि जनित फफूद (पीथियम एफानीडरमेटस) है| इस रोग के कारण पौधे उगने से पूर्व तथा उगने के कुछ दिन बाद मर जाते हैं| जब पौधे उगने से पूर्व मर जाते हैं, तो किसानों को यही आभास होता है, कि बीज का जमाव कम था| रोग का प्रकोप जब पौधे निकलने के पश्चात् होता है, तो रोगग्रसित पौधे प्रायः गिर जाते हैं| ऐसे पौधे में जमीन के सतह के समीप वाला प्रभावित तना मुलायम हो जाता है| जैसे ही मिर्च में रोग का प्रकोप बढ़ता है, प्रभावित भाग का तना सिकुड़ जाता है और पौधा गिर जाता है| पौधशाला में अधिक नमी, पौधों की अधिक संख्या और अधिक तापमान का बढ़ना रोग में सहायक पाए गए है। इसके लिए आप GEEKEN CHEMICALS का बना प्रोडक्ट Kenzeb (Mancozeb 75% WP) और Kenzim (Carbendazim 50% WP) का प्रयोग कर सकते है। फल गलन व टहनी मार रोग लक्षण मिर्च में यह रोग भी एक फफूदी (कोलेटोट्राइकम कैपिसकी) से होता है| प्रभावित पके फलों पर भूरे या काले रंग के धब्बे बनते हैं, जिनके बीच में काले-काले बिंदु जैसे आकार भी बन जाते हैं

जानिए टमाटर में लगने वाले प्रमुख रोग और इसके रोकथाम के आसान तरीके -Tomato

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टमाटर भारत की प्रमुख फसल में से एक है। अपने प्रमुख गुणों और अलग - अलग तरह के उपयोग के कारण टमाटर सबसे महत्वपूर्ण सब्जी में से एक है। बहुत से लोग तो टमाटर (Tomato) के बिना सब्जी की कल्पना भी नही कर सकते| इसमें भरपूर मात्रा में कैल्सियम, फास्फोरस और विटामिन सी पाए जाते है| यह एसिडिटी की सिकायत को दूर करता है| इसका स्वाद खटा होता है| इसकी खेती करना भी बहुत आसान है साथ ही साथ सितम्बर महीने में इसकी खेती करने पर बहुत अच्छा मुनाफा होता है। लेकिन कभी - कभी यह भी देखा गया है कि टमाटर में अक्सर बरसात की वजह से इसमें रोग लगने के चांस भी बढ़ जाते है। टमाटर के अच्छे उपज के लिए हम इसकी रुपाई करते है इसके साथ - साथ समय पर इसकी निराई - गुड़ाई भी करते रहने चाहिए। जिससे खरपतवार ख़त्म हो जाते है और रोग लगने के चांस भी कम होता है। लेकिन इन सब के बावजूद में इसमें रोग का हमला हो ही जाता है , जिससे फसल पूरी तरह से नष्ट हो जाती है। इस लिए आज हम आपको इस ब्लॉग में बतानें वाले है कि टमाटर की फसल में लगने वाला प्रमुख रोग कौन सा है और इसे ख़त्म कैसे किया जा सकता है। टमाटर के फसल में लगने वाले प्रमुख रोग औ