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Showing posts from October, 2022

चौलाई की खेती कब करें , जानिए सही समय और खेती करने का तरीका

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चौलाई की खेती भारत के बहुतायत क्षेत्र में की जाती है। चौलाई को हम पत्ता सब्जी के रूप में उगाते है। यह एक तरह की नगदी फसल है। हमारे देश के अलावा भी चौलाई की खेती कई देशों में की जाती है। जिनमें दक्षिणी पूर्वी एशिया, पूर्वी अफ्रीका, मध्य एवं दक्षिणी अमेरिका और पश्चिम अफ्रीका जैसे देश शामिल है। इसे हम कहीं - कहीं पर रामदाना और राजगिरी के नाम से भी जानते है। चौलाई का पौधा एक से दो मीटर तक ऊँचा होता है , हमारे घर में इसके पत्ते से सब्जी बनाई जाती है। इसके लिए अर्ध शुष्क वातावरण सबसे अच्छा माना जाता है। वहीं इस पौधे के विकास के लिए सामान्य तापमान जरुरी है। इसकी खेती को किसान भाई गर्मी और बरसात के मौसम में आसानी से कर सकते है। लेकिन कृषि एक्सपर्ट की मानें तो उपज की अच्छी पैदावार के लिए इसकी खेती शुष्क मौसम में करना अच्छा होता है। पिछले कुछ सालों की अगर हम बात करें तो किसान भाई इसकी खेती करके अच्छा पैसा कमा रहें है। अगर आप चौलाई की खेती करके अच्छा पैसा कमाना चाहते है तो आज का यह ब्लॉग आपके लिए ही है। आप इस ब्लॉग के माध्यम से परवल की खेती कैसे करें और इसमें लगने वाले प्रमुख रोग कौ

जीरा के पौधे की कैसे करें देखभाल , GEEKEN CHEMICALS के माध्यम से जानिए आसान तरीका

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जीरे की खेती हम सभी मसाला फसल के रूप में करते है। जब भी हम कोई डिश बनाते है तो उसमें जीरा जरूर डालते है। बिना जीरे के मसाले का स्वाद फीका सा रहता है। जीरे को हम सभी भूनकर छाछ , दही आदि में डालकर भी खातें है। जीरा को हम न सिर्फ भूनकर खातें है बल्कि यह स्वास्थ्य की दृष्टि से भी बहुत फायदेमंद है। जीरा का पौधा दिखने में बिल्कुल सौफ की तरह ही होता है। अगर इसकी खेती अच्छे से किया जाये तो किसान अच्छा मुनाफा भी कमा सकते है। मशाला फसल के रूप में जीरे का बहुत योगदान है। जीरा पेट के लिए सबसे ज्यादा फायदेमंद माना जाता है। आइये आज के इस ब्लॉग में हम जानते है कि जीरा की खेती कैसे की जाती है। आप यह ब्लॉग GEEKEN CHEMICALS के माध्यम से पढ़ रहें है। हम आप तक कृषि जगत से जड़ी सभी तरह की जानकारी प्रदान करते है। GEEKEN CHEMICALS भारत की सबसे भरोसेमंद कंपनी में से एक है। आज हमारे उत्पाद कीड़ों , रोगों को खत्म कर फसल का बेहतर उत्पादन प्रदान कर रहें है। GEEKEN CHEMICALS BEST Pesticides Manufacturers in Uttar Pradesh कंपनी में से है। आप अपने नजदीकी बाजार से इसे खरीद कर अपने फसल में इसका प्रयोग कर अ

गोभी की रोपाई कैसे करें ,यहां जानिए रोपाई करने का सबसे आसान तरीका

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अगर आपको बागवानी से प्यार है तो आप घर पर अलग - अलग तरह की सब्जियां , फल , फूल , आसानी से ऊगा सकते है। हम सभी को मौसमी सब्जियां खाना पसंद है। जो सेहत को स्वस्थ्य और निरोग बनाता है। अक्सर यह देखा गया है कि बाजार में हमारे जरूरत के हिसाब से सब्जियां नहीं मिल पाती है। खासकर बड़े शहर में, क्योंकि वहाँ भी सब्जियां बाहर से आती है। अगर ऐसे में आप भी अपने मनपसंद की सब्जी को उगाना चाहते है तो गोभी उसमें सबसे अच्छा विकल्प है। जो हमारे शरीर के लिए पौष्टिक सब्जी में से एक है। दोस्तों इसे बागानी के रूप में भी आप आसनी से ऊगा सकते है। आज के इस ब्लॉग में हम जानेगें की गोभी की खेती बागानी में कैसे कर सकते है। आप यह ब्लॉग GEEKEN CHEMICALS के माध्यम से पढ़ रहें है। हम आपतक खेती - बाड़ी से जुडी जानकारी आसानी से उपलब्ध करवाते है। आप GEEKEN CHEMICALS के माध्यम से अपने फसल में लगने वाले रोग , कीट , कवक को आसानी से खत्म कर सकते है। हम भारत के किसान भाइयों के हित को ध्यान में रखकर रासायनिक कीटनाशक बनाते है। जो खेत में खरपतवार , रोग , कीट को खत्म कर फसल की उत्पादन क्षमता को बढ़ाता है। किसान भाइयों

हरे चारे की प्रमुख फसल कौन - कौन सी है ? यहाँ जानिए कैसे उगाया जाता है हरा चारा

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पशुओं को खाने के लिए हरे चारे की जरूरत पड़ती है। हरा चारा दुधारू पशु के लिए जरुरी है। किसान इसके लिए तरह - तरह की फसल का इस्तेमाल करते है। लेकिन चारें की फसलें ऐसी होती है, जो ज्यादा दिनों तक नहीं चल पाती है। इसके लिए किसान भाइयों को समय - समय पर बुवाई करनी पड़ती है। हरे चारे की एक खास भूमिका होती है। भारत के जो भी किसान खेती के साथ पशुपालन करते है उन्हें हरे चारें की जरुरत पड़ती है। बरसात के मौसम में यह आसानी से मिल जातें है। आप देखते होंगे की हरा चारा खेतों की मेड़ पर आसानी से मिल जातें है। लेकिन सर्दी और गर्मी के मौसम में चारे का इंतजाम करना पड़ता है। ऐसे में किसान अपने खेतों में हरे चारे की बुवाई कर सकता है। इससे पशुओं को पुरे साल चारा मिलता रहता है। आज के समय में हरे चारे की खेती कम होती जा रही है। जिसकी वजह से पशुओं पर भी इसका बुरा प्रभाव पड़ रहा है। जो लोग पशुपालन करते है उन्हें इसकी सबसे ज्यादा जरुरत पड़ती है। हरा चारा पशुधन के लिए उपयोगी एवं आवश्यक पोषक तत्वों में से एक है। इसके लिए किसान ज्वार की खेती कर सकते है। ज्वार एक कटाई से लेकर तीन से चार कटाइयां देने की क्षमता रखता ह

यहाँ जानिए अंगूर की खेती करने का सबसे आसान तरीका

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अंगूर की खेती पुरे भारत में की जाती है। अंगूर के फल बहुत ही स्वादिष्ट और शरीर के लिए लाभप्रद होते है। आज के समय में इसकी खेती भी लगातार बढ़ती जा रही है। अगर हम पिछले कुछ समय की बात करें तो इसकी खेती का क्षेत्रफल बहुत तेजी से बढ़ा है। अगर देखा जाये तो भारत में इसकी खेती सबसे ज्यादा दक्षिण में कर्नाटक, महाराष्ट्र, आन्ध्र प्रदेश और तमिलनाडु जैसे राज्यों में सबसे ज्यादा की जाती है। जबकि उत्तर भारत में इसकी बागवानी की जाती है। जिसके प्रमुख राज्य पंजाब, हरियाणा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश, राजस्थान व दिल्ली है। अगर हम अंगूर की खेती की बात करें तो इसकी खेती उत्तर भारत में वर्ष में केवल एक बार जून के महीने में की जाती है जबकि दक्षिण भारत में दो बार की जाती है। इसके बेल में वृद्धि बहुत तेजी से होती है। आप यह ब्लॉग GEEKEN CHEMICALS के माध्यम से पढ़ रहें है। हम आप तक कृषि से जुडी जानकारी उपलब्ध करवाते है। इसके आलावा हम बेहतर तरीके से फसल उत्पादन के लिए फसलों में लगने वाले कीटों , खरपतवार और कवकनाशी Pesticide Chemicals भी बनाते है। जिसका प्रयोग करके आप अपने फसल की पैदावार बढ़ा सकते है।

जानिए कैसे करें चाय की खेती , जिससे होगी अच्छी कमाई

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चाय की खेती भारत कई वर्षों से करता आरहा है। भारत में इसकी खेती सर्वप्रथम 1835 में असम में की गयी थी। वर्तमान समय में भारत के कई राज्य इसकी खेती प्रमुखता से करते है। कुछ समय तक इसकी खेती केवल तटीय क्षेत्र में की जाती थी। लेकिन अब धीरे -धीरे मैदानी क्षेत्र में भी इसकी खेती की जा रही है। अगर हम पूरे विश्व की बात करें तो चाय उत्पादन में भारत का दूसरा स्थान है। दुनिया में 27 % चाय का उत्पादन भारत में किया जाता है। चाय एक तरह का पेय पदार्थ है , जिसके सेवन से हमारे शरीर को एक तरह की ऊर्जा मिलती है। चाय में थीन की मात्रा भी पाई जाती है। भारत के लोग चाय पीना बहुत पसंद करते है। अगर देखा जाये तो पानी के बाद सबसे ज्यादा सेवन चाय का ही किया जाता है। दोस्तों , चाय को पौधे की पत्तियों से तैयार किया जाता है। अगर चाय की खेती करनी है तो इसके लिए गर्म जलवायु की जरूरत पड़ती है। यदि आप भी चाय की खेती करने का मन बना रहें है तो आज का यह आर्टिकल आपके लिए है। हम आज चाय की खेती कैसे करें इससे जुडी जानकारी आपतक पहुचाएंगे। दोस्तों , आप यह ब्लॉग GEEKEN CHEMICALS के माध्यम से पढ़ रहें है। हम किसान भाइयों

जानिए कहाँ पर की जाती है झूम कृषि , क्या है इस तरीके से खेती करने के फायदें

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दोस्तों हमारा देश भारत एक कृषि प्रधान देश है। हमारे देश की आधी आबादी कृषि पर ही निर्भर है। इसलिए भारत लगातार कृषि को लेकर नई - नई तकनीकी अपना रहा है। पुरानें समय में हमारे देश में खेती कम संसाधन केबीच में की जाती थी। लेकिन जैसे - जैसे समय बदला खेती के तरीके में भी बदलाव होने लगा। कई सारी पद्धती ऐसी है जिसके लोग आज भी अपनाकर अच्छा मुनाफा कमा रहें है। इन्हीं में से एक है झूम कृषि। यह पुरानी कृषि में से एक है। इस प्रकार की कृषि विकासात्मक या पर्यावरणवादी द्वारा तेजी से किया जा रहा है। इस ब्लॉग में आज हम झूम खेती से बारें में जानेंगे , कैसे की जाती है झूम खेती और क्या है इसके फायदें और नुकसान। आप यह ब्लॉग GEEKEN CHEMICALS के माध्यम से पढ़ रहें है। हम कृषि क्षेत्र में लगातार नए आयाम के साथ काम कर रहें है। हमारे कैमिकल लगातार किसान की फसल को और अधिक गुणवत्तापूर्ण बना रहें है। भारत के सभी राज्यों में हमारे Best Quality Pesticide Manufacturers स्टोर मौजूद है जहां से आप हमारे कैमिकल को आसानी से खरीद सकते है। अपने फसल से जुडी किसी भी तरह की जानकारी के लिए आप हमारे सलाहकार की मदद भी

इस विधि से करें मटर की खेती , होगा ज्यादा फायदा , यहाँ पर जानिए बुवाई का सही समय

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भारत में दलहनी मटर की खेती भी बहुत प्रमुखता से की जाती है। इसका उपयोग हम सभी घर में सब्जियों के लिए करते है। यह खाने को स्वादिष्ट बनाने के काम आता है। बाजार में इसकी मांग भी हमेशा रहती है। अगर आप भी सब्जी की खेती करना चाहते है तो मटर आपके लिए अच्छा विकल्प हो सकता है। इसकी खेती में लागत कम और फायदा ज्यादा होता है। इसमें पाए जानें वाला राइजोबियम जीवाणु भूमि को अत्यधिक उपजाऊ बनाता है। अगर मटर की खेती की बात करें तो अक्टूबर - नवम्बर के महीने में करने पर ज्यादा फायदा होता है। आज कल तो बाजारों में हमेशा मटर की जरूरत पड़ती रहती है। वहीँ इसको सुखाकर किसान मटर की दाल भी बनाते है। तो आइये जानते है कि कैसे की जाती है मटर की खेती और किसान भाइयों को कैसे होगा मुनाफा। आप यह ब्लॉग GEEKEN CHEMICALS के द्वारा पढ़ रहें है। हम आप तक कृषि से जुडी सभी तरह की जानकारी उपलब्ध करवाते है। आप अपने फसलों को हानिकारक कीड़ों से बचानें के लिए GEEKEN CHEMICALS के द्वारा बनें कीटनाशक का भी प्रयोग कर सकते है। आप हमारे कीटनाशक को ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरीके से खरीद सकते है। और पढ़े-: जानिए टमाटर में लगने व

मूंगफली के प्रमुख कीट एवं उनका नियंत्रण , जानिए GEEKEN CHEMICALS कैसे करेगा इसके रोग खत्म

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मूंगफली की खेती हम तिलहनी फसल के रूप में करते है। इसका पौधा मुख्य रूप से उष्णकटिबंधीय जलवायु वाला होता है। इसकी खेती भारत में खरीफ और जायद की फसल के साथ की जाती है। देश के किसान भी अब परंपरागत खेती को छोड़कर नगदी फसल की खेती को बढ़ावा दे रहें है। वहीँ कृषि एक्सपर्ट का मानना है कि मूंगफली की खेती से किसान अच्छा कमाई कर सकते है। अगर हम भारत की बात करें तो आन्ध्र प्रदेश, तमिलनाडू, कर्नाटक और गुजरात राज्यों में इसकी खेती प्रमुखता से की जाती है। राजस्थान में इसकी खेती सबसे ज्यादा की जाती है। मूंगफली के दानें का उपयोग हम तेल निकालने और खाने के लिए करते है। मूंगफली की खेती करते समय इसके पौधे की देखभाल करना बहुत जरुरी है। मूंगफली की फलियां फलियां मिट्टी में रहकर विकास करती है। जिसकी वजह से इनपर अक्सर मौसम का प्रभाव भी देखने को मिला है। ज्यादा बारिश की वजह से इसमें कवक जनित रोग लग जाता है जो पौधे और फलियों को नुकसान पहुचातें है। इसके आलावा भी अगर मूंगफली की अच्छे से देखभाल न किया जाये तो इसकी गांठो में और भी कई तरह के कीट और मृदा जनित रोग का आक्रमण होता है। जिसका असर सीधा मूंगफली की प

केंद्र सरकार की इन महत्वपूर्ण योजनाओं से होगा किसानों को लाभ, आज ही करें आवेदन

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केंद्र सरकार किसान भाइयों के लिए तरह - तरह की योजनाएं लेकर आ रही है। इन योजना का लाभ लेकर किसान सरकार से सहयोग प्रपात कर सकते है। वहीँ इस योजना की वजह से किसान भाइयों को काफी फायदा भी हो रहा है , जिससे वह और मेहनत से अपनी खेती कर रहें है। लेकिन आज भी कई ऐसे किसान है जिन्हें इन योजना के बारें में सही जानकारी नहीं मिल पा रही है। जिसकी वजह से वह इन योजना से वंचित रह जाते है। लेकिन आज GEEKEN CHEMICALS लेकर आया है उन योजना कि जानकारी जिसके माध्यम से किसान इसका लाभ उठा सकते है। और पढ़े-: जानिए चने की खेती करने का तरीका और सही समय , जिससे होगा किसान भाइयों को लाभ ही लाभ पीएम किसान सम्मान निधि योजना यह योजना किसान भाइयों के लिए एक वरदान की तरह है। इस योजना के तहत भारत सरकार छोटे और सीमान्त किसानों को आर्थिक मदद प्रदान करती है। इस योजना के तहत वह किसान लाभवनवित होते है जिनके पास 2 हेक्टेयर (4.9 एकड़) से कम भूमि हो। इस योजना के तहत किसान भाइयों को 6 हजार रूपये की राशि प्रदान की जाती है। यह राशि किसानों को तीन किश्तों में प्रदान की जाती है। इसके लिए सरकार ने बाकायदा बैंक खाते खु

जानिए चने की खेती करने का तरीका और सही समय , जिससे होगा किसान भाइयों को लाभ ही लाभ

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चना दलहनी फसल है जिसकी खेती लगभग पूरे भारत में की जाती है। यह मानव शरीर के लिए बहुत ही लाभदायक होती है। चनें में अगर डॉ की मानें तो 21 प्रतिशत प्रोटीन तथा 60 प्रतिशत कार्बोहाइड्रेट की मात्रा पाई जाती है | सुबह - सुबह चनें का सेवन करना काफी फायदेमंद माना जाता है। चना दलहनी फसलों में से एक है। इसके खेती मध्य-पूर्वी एशियाई देशों में की जाती है। भारत में भी इसकी पैदावार काफी अच्छी होती है। इसका प्रयोग हम दाल, बेस, सत्तू सब्जी तथा अन्य कार्यों के लिए करते है। भारत में चने की खेती सिंचित क्षेत्रों के साथ - साथ असिंचित क्षेत्रों में भी की जाती है। रबी मौसम की फसल होने कारण चने की खेती शुष्क जलवायु एवम ठन्डे जलवायु में की जाती है। भारत की सरकार भी दलहनी फसलों की पैदावार बढ़ानें के लिए तरह - तरह की योजनाएं ला रही है। आप यह ब्लॉग GEEKEN CHEMICALS के माध्यम से पढ़ रहें है। GEEKEN CHEMICALS किसान की फसल सुरक्षा के लिए तरह - तरह के कीटनाशक का उत्पादन करता है और फसल की पैदावार को बढ़ता है। आप हमारे प्रोडकट को ONLINE या फिर OFFLINE दोनों तरीके से खरीद सकते है। हम भारत के किसानो के लिए लगात

बारिश से फसल को हुआ है नुकसान! तो सरकार देगी मुआवजा , इस पोर्टल पर करें आवेदन

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प्राकृतिक आपदा की वजह से किसान लगातार परेशान है। कभी सूखा तो कभी बाढ़ या फिर बारिश ने किसान के फसलों को बर्बाद करके रख दिया है। अगर देखा जाये तो इसकी वजह से किसान की फसल को काफी नुकसान का सामना करना पड़ रहा है। पिछले दिनों हुए लगातार बारिश की वजह से भी किसान भाइयों की फसल को काफी नुकसान हुआ है। कृषि एक्सपर्ट की मानें तो इस बार खरीफ की फसल को काफी नुकसान का सामना करना पड़ सकता है। इस नुकसान की भरपाई के लिए राज्य सरकारें अपने-अपने हिसाब से दे रही है। इसी क्रम में हरियाणा सरकार ने राज्य के किसानो की मदद के लिए एक क्षतिपूर्ति पोर्टल (fasal.haryana.gov.in) खोला है। हरियाणा की सरकार पोर्टल के जरिये किसानों से आवेदन करने के लिए मुहीम चला रही है। अगर बात करें बारिश की वजह से बर्बाद हुई फसलों की तो कपास, धान, सब्जियों की फसल समेत कई अन्य फसलें ख़राब हो गयी है। आपको बता दें कि किसान भाइयों को इसके मुआवजे के लिए मेरी फसल मेरा ब्योरा पोर्टल पर अपने बैंक से जुड़े मोबाइल नंबर के साथ आवेदन करना होगा। आप अपने फसल के ख़राब होने के 72 घंटे के भीतर ही इसका आवेदन भर सकते है। कभी – कभी जानकारी के आभाव

जानिए कब मिलेगी पीएम किसान सम्मान निधि की 12 वीं क़िस्त और कब है आवेदन की अंतिम तिथि

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किसान भाइयों सरकार के द्वारा चलाई जा रही योजना किसान सम्मान निधि से काफी लोगों को फायदा पहुँचता है। इस योजना के तहा किसान भाइयों को हर साल 6 हजार रूपये की राशि प्रदान की जाती है। यह राशि किसान भाइयों को चार माह के अंतर्गत 2-2 हजार रूपये के हिसाब से दी जाती है। अभी तक इस योजना से 11 किस्तें किसान भाइयों को प्रदान की जा चूँकि है। वहीँ अब 12 किस्त त्यौहार के मौसम में दिया जाना है जिसका किसान भाई बड़ी बेसब्री से इंतजार कर रहें है। तो आज हम आपको बता दें कि किसान भाइयों का यह इंतज़ार बहुत जल्द खत्म होने वाला है। इस योजना की 12वीं किस्त सरकार जल्द उनके खाते में डालने वाली है। मिली जानकारी के अनुसार किसान का डेटा गलत और किसान डेटाबेस में अपूर्ण केवाईसी के कारण इस बार किस्त आने में थोड़ा देरी हुई है। बताया जा रहा है कि जल्द ही पीएम मोदी कृषि स्टार्टअप कार्यक्रम के तहत किसान के खाते में यह राशि जमा करेंगे। आग यह जानकारी GEEKEN CHEMICALS के माध्यम से प्राप्त कर रहें है। GEEKEN CHEMICALS किसान भाइयों के हितों को ध्यान में रखकर बेहतर फसल उत्पादन के लिए कीटनाशक बनाता है। जिसके प्रयोग से

पौधों को फंगस से बचाने के लिए अपनाएं यह उपाय , जिससे आसानी से खत्म हो जायँगे फंगस

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दोस्तों हम सभी को पौधे लगानें का बहुत शौक होता है लेकिन शायद हम इसकी अच्छे से देखभाल करना भूल जाते है। पौधे में पानी की मात्रा का बढ़ना साथ ही किसी संक्रमित पौधे का दूसरे पौधे के सम्पर्क में आना जो कई फंगस का कारण बनते है। पौधे के फंगस काफी हद तक उन बीमारी को जन्म देते है , जो काफी लम्बे समय तक इनको परेशान करते है। यह फंगस पौधे की पत्तियों और ऊपरी हिस्से को ज्यादा नुकसान पहुचातें है। कभी - कभी यह फंगस पौधे की जड़ो को भी खोखला कर देते है। इस पूरी प्रक्रिया में हमारे पौधे बीमार होकर पूरी तरह से नष्ट हो जाते है। पौधे में फंगस रोग का प्रकोप अक्सर हल्के आर्द्र या नम मौसम के कारण खेत की मिट्टी को भी ख़राब कर देते है। फंगस को नमी ज्यादा पसंद है , इसलिए जहां नहीं आप अपने पौधे को लगा रहें हो वहां पहले तापमान की जाँच अवश्य कर लें। पौधे को फंगस से बचाने के लिए आप निचे दिए हुए कुछ आसान उपाय को अपना सकते है। पौधे के फंगस क्या होते है फंगस एक तरह का ऐसा रोग है जो अलग - अलग तरीके के पौधे को प्रभावित करता है। अगर देखा जाये तो पौधे में मुख्यरूप से सफ़ेद फंगस का परोक्प ज्यादा होता है। सफ़

जानिए कैसे खत्म कर सकते है फसलों में लगने वाला हानिकारक रोग पाउडर फफूंदी

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फफूदी एक तरह का गंभीर कवक रोग है , जो सभी तरह के पौधों को प्रभावित करता है इसके कारन पौधों के उपज में कमी आती है। इस रोग का जन्म एरीसिफेल्स क्रम के कारण होता है। दुनिया में ज्यादातर यह रोग जीव पोडोस्फेरा फुलिजिनिया के कारण होता है। यह कवक नम और मध्यम जलवायु के कारण बढ़ती है। इसलिए यह उगते हुए पौधे में ज्यादा तेज़ी से फैलता है। यह उन पौधों में ज्यादा फैलता है जिनमें माध्यम जलवायु के साथ हवा में नमी की मात्रा होती है। यह कवक ज्यादातर उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों के साथ-साथ ग्रीनहाउस में देखने को मिलती है। ज्यादातर यह कवक बरसात के मौसम में उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में पाया जाता है। आप यह लेख Geeken Chemicals India Limited के द्वारा पढ़ रहें है। GEEKEN एक Agrochemical Company जो हमारे देश के किसानों को फसल सुरक्षा उत्पादों की सर्वोच्च गुणवत्ता प्रदान करती है। हम किसानों की फसल सुरक्षा के लिए अलग - अलग तरह कीटनाशक का उपयोग कर उनके फसल की उत्पादन क्षमता को बढ़ाते है। आप हमारे द्वारा अपने खेती से जुडी सभी तरह की जानकारी भी प्राप्त कर सकते है। GEEKEN CHEMICALS आपकी खेती एवं उसकी गतिविधियों