इस विधि से करें मटर की खेती , होगा ज्यादा फायदा , यहाँ पर जानिए बुवाई का सही समय

भारत में दलहनी मटर की खेती भी बहुत प्रमुखता से की जाती है। इसका उपयोग हम सभी घर में सब्जियों के लिए करते है। यह खाने को स्वादिष्ट बनाने के काम आता है। बाजार में इसकी मांग भी हमेशा रहती है। अगर आप भी सब्जी की खेती करना चाहते है तो मटर आपके लिए अच्छा विकल्प हो सकता है। इसकी खेती में लागत कम और फायदा ज्यादा होता है। इसमें पाए जानें वाला राइजोबियम जीवाणु भूमि को अत्यधिक उपजाऊ बनाता है। अगर मटर की खेती की बात करें तो अक्टूबर - नवम्बर के महीने में करने पर ज्यादा फायदा होता है। आज कल तो बाजारों में हमेशा मटर की जरूरत पड़ती रहती है। वहीँ इसको सुखाकर किसान मटर की दाल भी बनाते है। तो आइये जानते है कि कैसे की जाती है मटर की खेती और किसान भाइयों को कैसे होगा मुनाफा। आप यह ब्लॉग GEEKEN CHEMICALS के द्वारा पढ़ रहें है। हम आप तक कृषि से जुडी सभी तरह की जानकारी उपलब्ध करवाते है। आप अपने फसलों को हानिकारक कीड़ों से बचानें के लिए GEEKEN CHEMICALS के द्वारा बनें कीटनाशक का भी प्रयोग कर सकते है। आप हमारे कीटनाशक को ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरीके से खरीद सकते है।

और पढ़े-: जानिए टमाटर में लगने वाले प्रमुख रोग और उनका उपचार

हरे मटर की खेती क्या है

मटर भारत में सब्जी की फसलों में से एक है और मूल रूप से इसकी खेती हरी फली के रूप में होती है। हरी मटर का प्रयोग सब्जी बनाने , सुप बनाने आदि चीजों में किया जाता है। हरी मटर का भूसा एक तरह का पौष्टिक चारा है जिसका उपयोग पशुओं के चारे के रूप में होता है।

मटर की बुवाई का सही समय

मटर की खेती के लिए दोमट भूमि सबसे अच्छा माना जाता है। आप इसकी खेती अक्टूबर - नवम्बर महीने में करके अच्छा पैसा कमा सकते है। मटर की खेती के लिए भूमि का पीएच मान 6-7. 5 होना चाहिए। इसकी खेती अगर किसान अम्लीय मिट्टी में करते है तो यह फसल को नुकसान पहुंचाता है। आप खरीफ की फसल के कटाई के बाद जमीन की 2-3 बार जुताई करनी चाहिए। अच्छे अंकुरण के लिए मिट्टी में नमी का होना जरुरी है , इसलिए इसमें खड़े मिट्टी के ढेलो को तोड़ देना चाहिए।

सिंचाई प्रबंधन

मटर की खेती में नमी के आधार पर सिचाई की जरूरत पड़ती है। अगर आप मटर की खेती कर रहें है तो पहली सिचाई फूल निकलने से पहले और दूसरी सिचाई फलियां बनने के समय करनी चाहिए। किसान भाइयों को इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए की मटर की सिचाई जब भी करें हल्की करें, जिससे खेत में पानी का ठहराव न हो सकें। कृषि एक्सपर्ट बताते है कि इसकी खेती के लिए एक से दो सिचाई की जरूरत पड़ती है।

रोग और कीट प्रबन्धन

1. चूर्णिल आसिता रोग

यह मटर के फसल में लगने वाले रोगों में सबसे प्रमुख है। इसके लगने से मटर की फसल जो जल्द पकती है उसमें काफी हानि देखने को मिलता है। इस रोग के कारण मटर की पत्तियां सबसे ज्यादा प्रभावित होती है और बाद में यह रोग तनों और फली को भी नुकसान पहुँचाता है। इस रोग कारण पत्तियों के दोनों सतह पर सफ़ेद चूर्ण के धब्बे दिखाई पड़ते है। पहले तो यह धब्बे छोटी-छोटी रंगहीन कलंक या चित्तियों के रूप में बनते हैं और बाद में इसके चारों तरफ चूर्णी समूह का फैलाव हो जाता है। इस रोग के कारण पौधों में प्रकाश संश्लेषण की कमी हो जाती है। मटर के पौधे छोटे रह जाते है और इनकी फलियाँ भी कम लगती है। अगर आप अपने फसल को इस रोग से बचाना चाहते है तो आपको जीकेन केमिकल्स का बना कीटनाशक प्रयोग करना चाहिए।

2 . रतुआ

जब भी मटर की फसल में रतुआ रोग का प्रकोप होता है मटर की फसल पूरी तरह से बर्बाद हो जाती है। इस रोग के कारण पौधे पर चमकदार पीले फफोले नज़र आते है। इस रोग से ग्रसित पौधे विकास नहीं कर पाते और छोटे ही रह जाते है। अगर आप मटर की खेती अगेती करते है तो इस रोग का असर कम देखने को मिलता है। इस रोग की वजह से किसान अक्सर परेशान रहते है। इस रोग से मटर की फसल को बचानें के लिए आप प्रयोग कर सकते है।

3 . आर्द्रजड़ गलन

यह एक तरह का मृदा जनित रोग होता है। इस रोग के प्रकोप के कारण मटर की पत्तियां पिले रंग की हो जाती है। कभी - कभी तो पत्तियाँ सुखकर निचे की तरफ मुड़ने लगती है और इसमें पीला पन आ जाता है। यह रोग भी बहुत खतरनाक होते है। अगर समय रहते किसान इससे छुटकारा नहीं पातें है तो यह फसल को पूरी तरह बर्बाद कर देता है।

फसल की कटाई

मटर की फलियां की बात करें तो 130 -150 दिन में पक जाती है। जिसके बाद किसान आसानी से इसकी कटाई कर सकते है। कटाई करने के बाद इसे 3-4 दिन के लिए धुप में रख दें , जिसके बाद इसे पीटकर बीज का भंडारण कर सकते है। कितना कमाया जा सकता है अगर देखा जाये तो ठण्ड के मौसम में मटर का भाव बाजार में 20-40 रुपये प्रति किलो के बीच होता है। अगर औसत कीमत 30 रुपये प्रति किलो भी है है तो किसान भाई एक हेक्टेयर में 70 हजार रूपये कमा सकते है। कहीं - कही तो मटर की खेती गेहू और जौ के साथ भी की जाती है। इसे किसान हरे चारे के साथ जई और सरसों के साथ भी बो सकता है। इस तरह से आप इसे अलग - अलग फसलों के साथ बो कर अच्छा मुनाफा कमा सकते है।

और पढ़े-:मूंगफली के प्रमुख कीट एवं उनका नियंत्रण , जानिए GEEKEN CHEMICALS कैसे करेगा इसके रोग खत्म

निष्कर्ष

आप यह ब्लॉग GEEKEN CHEMICALS के द्वारा पढ़ रहें है। आज हमने जाना की मटर की खेती कैसे करते है और इसमें लगने वाले प्रमुख रोग कौन - कौन से है। आशा है कि किसान भाइयों को हमारी यह जानकारी पसंद आयी होगी। आप हमारे इस ब्लॉग को अपने सोशल मीडिया के माध्यम से शेयर भी कर सकते है। किसी भी तरह की अन्य जानकारी के लिए आप हमारे सलाहकार को कॉल (+91 - 9999570297) पर कॉल भी कर सकते है।

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