जीरा के पौधे की कैसे करें देखभाल , GEEKEN CHEMICALS के माध्यम से जानिए आसान तरीका

जीरे की खेती हम सभी मसाला फसल के रूप में करते है। जब भी हम कोई डिश बनाते है तो उसमें जीरा जरूर डालते है। बिना जीरे के मसाले का स्वाद फीका सा रहता है। जीरे को हम सभी भूनकर छाछ , दही आदि में डालकर भी खातें है। जीरा को हम न सिर्फ भूनकर खातें है बल्कि यह स्वास्थ्य की दृष्टि से भी बहुत फायदेमंद है। जीरा का पौधा दिखने में बिल्कुल सौफ की तरह ही होता है। अगर इसकी खेती अच्छे से किया जाये तो किसान अच्छा मुनाफा भी कमा सकते है। मशाला फसल के रूप में जीरे का बहुत योगदान है। जीरा पेट के लिए सबसे ज्यादा फायदेमंद माना जाता है। आइये आज के इस ब्लॉग में हम जानते है कि जीरा की खेती कैसे की जाती है। आप यह ब्लॉग GEEKEN CHEMICALS के माध्यम से पढ़ रहें है। हम आप तक कृषि जगत से जड़ी सभी तरह की जानकारी प्रदान करते है। GEEKEN CHEMICALS भारत की सबसे भरोसेमंद कंपनी में से एक है। आज हमारे उत्पाद कीड़ों , रोगों को खत्म कर फसल का बेहतर उत्पादन प्रदान कर रहें है। GEEKEN CHEMICALS BEST Pesticides Manufacturers in Uttar Pradesh कंपनी में से है। आप अपने नजदीकी बाजार से इसे खरीद कर अपने फसल में इसका प्रयोग कर अच्छा उत्पादन प्राप्त कर सकते है। किसान भाइयों जीरा एक तरह का एपियेशी परिवार का पुष्पीय पौधा है। इसके पौधे को किसान हाथ से भी तोड़ सकते है। जीरा के तनें में कई शाखाएँ होती है इसका पौधा 20-30 सेंमी ऊंचा होता है। यह वार्षिक फसल वाला मुलायम त्वचा का हर्बेशियस पौधा है। इसके प्रत्येक शाखा की 2 -2 उप शाखा होती है। जिसकी वजह से यह छतरीनुमा आकार ले लेता है। इसका तना गहरे स्लेटी रंग का होता है। भारत में जीरे की सबसे ज्यादा खेती गुजरात और राजस्थान में की जाती है। राजस्थान में कुल उत्पादन का लगभग 28 प्रतिशत जीरे की खेती अकेले की जाती है। लेकिन गुजरात भी जीरा की खेती के मायने में पीछे नहीं है। गुजरात में भी इसकी खेती काफी अधिक मात्रा में की जाती है। इसकी खेती के लिए सबसे पहले हम खेत की जुताई करते है। जुताई करने के लिए किसान मिट्टी पलटने वाले हल का प्रयोग कर सकते है। अगर किसान खेत की गहरी जुताई करना चाहते है तो देशी हल या हैरो से दो या तीन उथली जुताई करके पाटा लगाकर खेत को समतल कर लेना चाहिए। इससे खेत में पानी नहीं लगता है। आप चाहें तो 5-8 फीट की दुरी पर क्यारी भी बना सकता है। लेकिन यह ध्यान रहें कि क्यारी सामान आकार की हों जिससे बुवाई और सिचाई आसानी से की जा सकें।

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जीरा की खेती के लिए उपयोगी मिट्टी

जीरे की खेती के लिए रेतीली चिकनी बलुई और दोमट मिट्टी सबसे अच्छी मानी जाती है। इसके अलावा भारत के किसान काली और पीली मिट्टी, में भी इसकी खेती आसानी से कर सकते है। कभी भी जीरा की खेती ऐसे जगह पर नहीं करनी चाहिए जहां जल भराव की समस्या हो। हमेशा समतल जमीन पर इसकी खेती करना सबसे अच्छा माना जाता है।

खेती की तैयारी और समय

दोस्तों हमने ऊपर आपको बताया की जीरा की फसल को ठण्ड में उगाना सबसे अच्छा होता है। इसकी खेती ज्यादातर हिस्सों में लोग ठण्ड में करते है। जीरे की बुवाई किसान भाई अक्टूबर - नवम्बर महीने में कर सकते है। लेकिन यह ध्यान रहें की जिस भी खेती में इसकी खेती करनी हो खरपतवार को पहले ही निकालकर नष्ट कर दें। वहीँ इसकी फसल फरवरी मार्च में पककर तैयार हो जाती है।

कब करनी चाहिए सिचाई

किसी भी फसल के लिए सिचाई बहुत जरुरी है। जीरे की बुवाई के 8 -10 दिन के भीतर सिचाई कर देना फायदेमंद होता है। ऐसा करने पर जीरा का अंकुरण सही से होता है। इसके बाद अगर फसल को जरुरत हो तो कुछ दिन के बाद फिर से सिचाई कर देनी चाहिए। जब जीरा के दानें दिखने लगें तो फिर से सिचाई कर देनी चाहिए, इससे फसल की पैदावार काफी अच्छी होती है। जीरा की फसल को कुल तीन सिचाई की जरुरत पड़ती है। लेकिन किसान भाइयों को यह विशेष रूप से ध्यान रखना होगा की कभी भी जीरा की फसल को पकने के समय पानी नहीं देना चाहिए।

फसल चक्र का किसान जरूर करें पालन

किसान भाइयों किसी भी फसल की खेती करते समय हमें फसलचक्र जरूर अपनाना चाहिए। इससे फसल का बेहतर उत्पादन होता है। वहीं अगर किसान जीरे की खेती कर रहें है तो इसके लिए भी फसलचक्र अपना सकते है। इसके आलावा कभी भी किसान भाइयों को एक ही खेत में जीरे की खेती नहीं करनी चाहिए। अगर किसान एक ही खेत में जीरा की खेती करते है तो इससे उकठा रोग का प्रकोप बढ़ जाता है। इसलिए इसकी फसल को बोते समय उचित फसलचक्र अपनाना चाहिए।

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जानिए कब करें जीरा की कटाई

किसान भाई को फसल की कटाई भी एक उचित समय पर ही करनी चाहिए। इससे फसल की पैदावार काफी अच्छी होती है। अगर हम जीरा की फसल की बात करें तो जब इसका रंग भूरा होने लगे और फसल पूरी तरह से पाक जाये तब इसकी कटाई कर लेनी चाहिए। कटाई के बाद किसान थ्रेसर से मढ़ाई कर दाना को अलग कर सकते है। इसके दानें को भंडारण के लिए दाफ एवं सूखे बोर में करना चाहिए। जिससे इसके दानें ख़राब न हो।

निष्कर्ष

आज हमने जाना की जीरा की खेती कैसे की जाती है। आशा है कि किसान भाइयों को हमारा यह ब्लॉग बहुत पसंद आया होगा। आप हमारे इस ब्लॉग को अपने सोशल मीडिया के माध्यम से शेयर भी कर सकते है। जिससे यह जानकारी ज्यादा से ज्यादा किसान भाइयों तक पहुँच सकें। अगर आप GEEKEN CHEMICALS के कीटनाशक को खरीदना चाहते है तो हमें कॉल (+91 - 9999570297) भी कर सकते है। GEEKEN CHEMICALS BEST Pesticides Manufacturers in Uttar Pradesh कंपनी में से है।

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