जानिए कौन से महीने में की जाती है चनें की बुवाई और सिचाई की विधि

चना प्रमुख दलहनी फसल में से एक है। इसकी खेती भारत के अलावा और भी कई देशों में की जाती है। चना की खेती सबसे पहले मध्य-पूर्वी एशियाई देशों में की गयी थी। चनें का प्रयोग हम दाल, बेस, सत्तू सब्जी तथा अन्य कार्यों के लिए प्रमुखता से करते है। भारत में चनें की खेती की अगर हम बात करें तो इसे सिंचित और असिंचित दोनों जगहों पर उगाया जा सकता है। चना रबी के मौसम में उगाये जानें वाले प्रमुख फसलों में से एक है। इस लिए इसे शुष्क और ठन्डे जलवायु की हमेशा जरूरत पड़ती है। भारत में दलहन फसल के बढ़ावे के लिए सरकार भी लगातार काम कर रही है। अगर हम चना उत्पादन करने वाले राज्यों की सूची देखें तो इसमें मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक एवं गुजरात जैसे राज्यों में सबसे ज्यादा चनें की खेती की जाती है। लेकिन इसके लिए किसान भाइयों को कई बातों का ध्यान देना होगा। जिसका जिक्र हम नीचे ब्लॉग में करने जा रहें है। आइये आज के इस ब्लॉग में हम जानतें है की चनें की खेती कैसे की जाती है और इसमें लगने वाले प्रमुख रोग कौन - कौन से है , उनका उपचार कैसे किया जा सकता है। तो दोस्तों आप हमारे इस ब्लॉग को पूरा पढ़ें और अच्छा लगें तो शेयर जरूर करें।

किसान भाइयों आप यह ब्लॉग GEEKEN CHEMICALS के द्वारा पढ़ रहें है। GEEKEN CHEMICALS आपको जानकारी देने के अलावा अलग -अलग तरह के रासायनिक कीटनाशक का उत्पादन भी करता है। आप हानिकारक कीटों , खरपतवार , सुंडी , कवक को खत्म करने के लिए हमारे कीटनाशक का खरीद कर प्रयोग कर सकते है। हम सबसे भरोसेमंद कीटनाशक प्रदान करने वाली कंपनी में से एक है। जीकेन केमिकल्स INDIAS NO AGROCHEMICALS COMPANY में से एक है। आप हमारे कीटनाशक को अपने नजदीकी स्टोर पर जाकर खरीद भी सकतें है।

किसान भाइयों चनें का उतप्दान हम अक्टूबर से नवम्बर महीने में करते है। अगर हम पूरी दुनिया की बात करें तो 75 प्रतिशत चना अकेले केवल भारत में ही उगाया जाता है। यह हमारे शरीर के लिए बहुत ही लाभदायक होता है। अगर हम चनें की बता करें तो इसमें 21 प्रतिशत प्रोटीन तथा 60 प्रतिशत कार्बोहाइड्रेट पाया जाता है। अगर आप सुबह के समय भीगा हुआ चना कहते है तो आपके शरीर के लिए बहुत ही फायदेमंद है। इसके अलावा आज के समय में चनें से और भी कई सारी चीजें तैयार की जाती है।

और पढ़े –: नवंबर महीने में करें इन फसलों की खेती , जिससे होगी किसानों को अच्छी कमाई

चने के लिए मिट्टी जलवायु और तापमान

चने की खेती को हम किसी भी उपजाऊ और जल निकासी वाली जगह पर आसानी से कर सकते है। चनें के लिए सबसे अच्छी दोमट मिट्टी मानी जाती है। अगर हम इसके पीएच मान की बता करें तो 6 से 7.5 के मध्य होना जरुरी है। चने के पौधे को ज्यादा बारिश नुकसान पहुँचाती है। लेकिन यह पौधा ठंड के मौसम भी तेजी से बढ़ता है लेकिन किसान भाइयों अगर ज्यादा ठण्ड है तो चनें को पाले से भी बचाना चाहिए। ज्यादा पाला इसके पौधे को पूरी तरह से खत्म कर देता है और पैदावार भी काफी प्रभावित होती है।

अगर ज्यादा गर्मी है तो पौधे में कई तरह के रोग भी दिखाई पड़ते है , अगर किसान सामन्य तापमान में चनें की खेती करते है तो पैदावार काफी अच्छी देखने को मिलती है। आप रोगों को ख़त्म करने के लिए GEEKEN CHEMICALS के द्वारा बने कीट नाशी कैमिकल का प्रयोग कर सकते है। GEEKEN CHEMICALS Indias no 1 Agrochemicals Company में से एक है। चने के पौधे के लिए 20 डिग्री तापमान सबसे अच्छा होता है। इसका पौधा सबसे ज्यादा 30 डिग्री तथा न्यूनतम 10 डिग्री तक ही तापमान को सहन कर सकता है। इससे कम और ज्यादा तापमान पूरी फसल को खराब कर देती है।

ऐसे करें चनें के खेत की तैयारी

किसान भाइयों चने की रोपाई करने से पहले हम खेत को अच्छी तरह से तैयार करते है। इसके लिए किसान सबसे पहले खेत की अच्छे से जुताई करके इसमें गोबर के खाद को डाल सकते है। अगर आप चाहते है की खेत में खरपतवार की मात्रा कम दिखे तो इसके लिए आप एक बार फिर से जुताई करवा सकते है। जुताई करवानें के बाद कुछ दिन तक खेत को खुला छोड़ दें , जब इसमें धूप लगेगी तो हानिकारक कीट अपने आप खत्म हो जायँगे। कुछ दिन के बाद खेत में पानी लगाकर पलेव कर दें और जब मिट्टी सूख जाये तो कल्टीवेटर के माध्यम से खेत की जुताई कर दें। किसान भाई चाहें तो जुताई करने के बाद पाटा लगाकर खेत को समतल कर सकते है।

चने की बुवाई का सबसे अच्छा तरीका और सही समय

चने को हम बीज के रूप में रोपते है। अगर इसकी खेती करने वाले किसान भाइयों की मानें तो एक एकड़ की भूमि पर 80 से 100 KG बीजो की जरुरत पड़ती है। अगर चना काबुली है तो 60 से 80 KG बीज की जरूरत पड़ेगी। आप बीज लेने से पहले अच्छे से जाँच कर लें जिससे इसमें खरपतवार और रोग कम लग सकें। ऐसे करने से बीज का अंकुरण भी अच्छा होता है। किसान भाइयों चने की रोपाई हम रबी के फसल के साथ में करते है। अगर आप सिंचित और असिंचित जगह पर खेती कर रहें है तो इसके लिए अलग - अलग समय की जरूरत है।

किसान भाइयों चनें को हम सिंचित जगह पर अक्टूबर से दिसंबर के मध्य रोपाई करते है तथा असिंचित जगह पर सितम्बर से अक्टूबर माह के बीच में बुवाई की जाती है। इसके बीज को मशीन से रोपा जाता है, जिसके लिए पंक्तियाँ पहले से तैयार की जाती है। इसके प्रत्येक पंक्ति के बीच एक से दो फिट की दुरी होना जरुरी है।

कैसे करें चनें के पौधे की सिचाई

किसान भाइयों अपने देश में चने की सबसे ज्यादा बुवाई असिंचित जगह पर की जाती है। कृषि एक्सपर्ट के मुताबिक भारत में 70 से 75 प्रतिशत भागों में चनें की बुवाई की जाती है। इसके पौधे को हम तीन से चार बार सींच सकते है। अगर हम इसके सिचाई की बात करें तो पहली सिचाई 30 -35 दिन के बाद तथा उसके बाद की सिचाई 20 -30 दिन के अंतराल में करनी चाहिए।

चने के पौधे की कटाई पैदावार और लाभ

चने के बीज की कटाई हम 100 से 120 दिन के अंदर कर सकते है। जब इसके पौधे पर लगी पत्ती का रंग पीला दिखाई पड़े तो हम इसकी कटाई कर सकते है। इसके पौधे की कटाई हम जमीन के पास से करते है। कटाई के बाद कुछ दिनों के लिए पौधे को ऐसे ही सूखने के लिए छोड़ देते है। जब चना का पौधा सुख जाए तो थ्रेसर की सहायता से इसके दानें को निकाल लिया जाता है।

और पढ़े –: गोभी की रोपाई कैसे करें ,यहां जानिए रोपाई करने का सबसे आसान तरीक

निष्कर्ष

आप यह ब्लॉग GEEKEN CHEMICALS के माध्यम से पढ़ रहें है। हम आपके लिए फसल से जुडी हुई जानकारी और उसमें लगने वाले कीटों , रोगों को खत्म करने के लिए कीटनाशक का उत्पादन करते है। आप हमारे इस ब्लॉग के माध्यम से जानकारी हांसिल कर फसल में लगने वाले कीटों, रोगों , सुंडी आदि को आसानी से खत्म कर सकते है। GEEKEN CHEMICALS TOP QUALITY AGROCHEMICALS बनाने वाली कंपनी में से एक है। आप हमारे कीटनाशक को आसानी से हमें कॉल (+91 - 9999570297) करके मगा सकते है।

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