इस विधि से साल भर करें करेले की खेती, पाएं कम लागत में ज्यादा फायदा

करेला को हम एक प्रकार की औषधी मानते है। यह कई तरह के रोगों को खत्म करने के काम में प्रयोग किया जाता है। इसलिए बाजारों में भी इसकी मांग हमेशा रहती है। आज के समय में हम करेला को कभी भी ऊगा सकते है। अगर देखा जाये तो करेले की खेती में लागत कम लगता है और फायदा ज्यादा होता है। करेले में अनेक प्रकार के खनिज भी पाए जाते है। जिसमें प्रोटीन, वसा, कार्बोहाइड्रेट के अलावा विटामिन ‘ए’ और ‘सी’ अत्यधिक मात्रा में पाई जाती है। करेले को हम पाचन, डायबिटीज, ब्लड प्रेशर और गठिया जैसे रोगियों की बीमारी को खतम करने के लिए भी प्रयोग करते है। करेले का सब्जी के आलावा अचार भी बनाया जाता है। करेले को हम अपने कड़वेपन के लिए भी जानते है। भारत के लोग करेले को अलग - अलग नाम से भी बुलाते है जिनमें कारवेल्लक, कारवेल्लिका, करेल, करेली आदि नाम फेमस है।

किसान करेले की खेती साल में दो बार करते है। ठंड के मौसम में करेला की बुआई जनवरी - फरवरी में की जाती है। जिसके बाद मई - जून के मौसम में किसान इसके फसल को उखाड़ देते है। वहीँ गर्मी के मौसम में इसकी खेती जून-जुलाई में करते हैं और दिसम्बर तक इसकी फसल पाते हैं। अगर करेला की लागत की बात करें तो प्रति एकड़ लागत 20-25 हज़ार रुपये के लगभग होती है। इसमें हम 50-60 क्विंटल तक तक उपज पैदा करते है। इस हिसाब से अगर देखा जाये तो बाजार में किसान को करीब 2 लाख रुपये भाव मिल जाता है। इसी वजह से किसान करेले की खेती करना पसंद करते है।

जानिए कैसे करें करेला की खेती

करेला की खेती देसी और हाईब्रिड, दोनों तरीके के बीज के साथ किया जाता है। अगर किसान अलग - अलग किस्म के बीज का प्रयोग करते है तो इसके पकने के वक्त भी अलग ही होगा। किसान भाइयों को प्रति एकड़ खेती के लिए 3-4 किलो बीज की जरूरत पड़ती है। जब भी आप करेले की बुवाई करने जाये तो इसके बीज को पानी में जरूर भिगो दें।

बुवाई के लिए खेत की अच्छे से जुताई भी करनी चाहिए। इसके बाद करीब दो फ़ीट पर क्यारियाँ बनाकर इसकी ढाल के दोनों और करीब एक से डेढ़ मीटर की दूरी पर बीजों को रोपना चाहिए। जब भी इसकी रोपाई करें तो बीजों को जमीन में एक-डेढ़ इंच नीचे रोपना चाहिए। इससे करेला की पैदावार अधिक होती है। आप चाहें तो करेला के पौधे को नर्सरी बनाकर भी तैयार कर सकते है। लेकिन तैयार पौधे को भी बीजों की तरह ही लगाना पड़ता है। फसल लगानें के कुछ दिन के बाद आप निराई - गुड़ाई करके खेत से खरपतवार को खत्म कर सकते है। इससे किसान को करेला की पैदावार अत्यधिक देखने को मिलती है। करेला के लिए साधारण सिचाई की जरूरत पड़ती है। जब भी करेला में फूल या फल दिखाई पड़ने लगे उस समय खेत में नमी का होना जरुरी है। करेला की फसल में ज्यादा जलभराव भी नहीं करना चाहिए।

खाद और कीटनाशक का इस्तेमाल

करेला की रोपाई से पहले खेत को अच्छे से तैयार करना चाहिए। इसमें गोबर की खाद या कम्पोस्ट का इस्तेमाल भी किसान कर सकते है। करेला की फसल में रोग भी जल्दी लगते है , इस लिए समय - समय पर इसकी देखभाल करना भी जरुरी है। ज्यादातर रोग करेला की जड़ में लगते है और यह पौधे को पूरी तरह से खत्म कर देते है। इसकी फसल में लगने वाले कीड़ों को खत्म करने के लिए किसान GEEKEN CHEMICALS का प्रयोग कर सकते है।

निष्कर्ष

आपने यहाँ पर जाना की करेले की खेती कैसे कर सकते है। आशा है कि किसान भाइयों को हमारा यह ब्लॉग खूब पसंद आया होगा। आप हमारे इस ब्लॉग को शेयर जरूर करें। आप GEEKEN CHEMICALS के कीटनाशक को ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरीके से खरीद सकते है। इसके लिए आपको हमारे दिए हुए नंबर (+91 - 9999570297) पर कॉल करना होगा। हम भारत के किसानों को बेहतर तरीके का कीटनाशक प्रदान करते है।

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