जानिए कब और कैसे करें तोरिया की खेती , जिसके है अनेकों फायदें

इस बार मानसून जल्द आने की वजह से कृषि वैज्ञानिक तोरिया की कहती करने की सलाह दें रहें है।जिसके लिए कई राज्यों में किसानों को तोरिया के बीज उपलब्ध कराए जा रहे हैं। इसी क्रम में टीकमगढ़ कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों की ओर से गांव कोडिया में किसानों को तोरिया की खेती का प्रशिक्षण दिया गया। इसमें तोरिया की खेती की जानकारी दी गई। वैज्ञानिकों ने बताया कि खरीफ मौसम में शुरू में वर्षा कम एवं देर से होने पर जिले में अधिकांश गांवों में 10-15 प्रतिशत रकबा में फसल की बुवाई नहीं हो पाई है। ऐसी स्थिति में किसान खेतों में तोरिया जो सरसों की कम अवधि की फसल है इसे सितंबर में तीसरे सप्ताह तक बुवाई कर सकते हैं। उसके बाद नवंबर के अंतिम सप्ताह से दिसंबर के प्रथम सप्ताह तक गेहूं एवं जौ की बुवाई कर अधिक लाभ कमा सकते हैं। बता दें कि तोरिया कम समय में उगने वाली फसल हैं। तोरिया की खेती करके किसान कम खर्च में ज्यादा मुनाफा कमा सकता है यह रबी के मौसम में उगाये जानें वाली प्रमुख फसलों में से एक है।तोरिया की कुछ किस्में 85 से 90 दिन में पककर तैयार हो जाती है। जो खेत अगस्त के आखिर में ज्वार, बाजरा आदि चारे वाली फसलों के व सब्जियों के बाद खाली हो जाते हैं, आप उसमें तोरिया की खेती करके अच्छा पैसा कमा सकते है। आप यह ब्लॉग GEEKEN CHEMICALS के द्वारा पढ़ रहें है। GEEKEN CHEMICALS भारत में सबसे अच्छी कीटनाशक बनाने वाली कंपनी में से एक है। आप GEEKEN CHEMICALS के प्रोडक्ट को आसानी से अपने नजदीकी मार्किट में खरीद सकते है।

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तोरिया की उन्नत प्रजातियां

तोरिया की अगर हम बात करें तो यह 112 दिन में पक जाता है। किसान भाई इसकी खेती से अच्छा पैसा कमा सकते है। इसके अतिरिक्त तोरिया की कम अवधि में पकने वाली किस्मों में टीएल-15 और टीएच-68 है, जो 85 से 90 दिन में पककर तैयार हो जाती है। इन किस्मों की औसत उपज छह क्विंटल प्रति एकड़ है।

खेत की तैयारी

इसकी खेती के लिए पहले गहरी जुताई करके बीज को खुला छोड़ दें। कुछ दिनों के बाद गोबर से छिड़काव करें और जुताई करवा दें। उसके बाद उनमें पानी डालकर पलेव कर दें। पलेव करने के तीन से चार दिन बाद खेत में रासायनिक उर्वरक की उचित मात्रा का छिडकाव कर रोटावेटर चला दें. उसके बाद खेत में पाटा चलाकर उसे समतल बना लें।

कीट व रोग नियंत्रण

तोरिया की खेती में पहले सिचाई नहीं करनी चाहिए। सिचाई हमेशा फूल व फल लगते समय ही करना चाहिए। खरपतवार को खतम करने के लिए आप कम से कम 3 हफ्ते बाद गुड़ाई करना चाहिए। तोरिया में मरोडिया रोग होने की संभावना रहती है। यदि ऐसा हो तो मरोडिया रोग प्रभावित पौधे निकालते चाहिए ताकि रोग का प्रकोप अधिक न हो। इसके लिए समय-समय पर खेत की निराई-गुड़ाई करते रहना चाहिए। जहां सरसों की फसल में चेपा लगता है। वहीं तोरिया की फसल में चेपा प्राय: नहीं लगता है।

तोरिया कटाई और उपज

तोरिया की कटाई पक जानें के बाद ही करनी चाहिए क्योंकि इसके हरे रहने पर काट देने से दाना चिपक जाता है। अगर इसके उपज की बात किया जाये तो हमें 6 से 7 क्विंटल तक उपज प्राप्त की जा सकती है।

तोरिया की खेती के लाभ (Toria cultivation)

• तोरिया की फसल कम समय में तैयार हो जाती है। इसकी फसल 90 दिन में पककर तैयार हो जाती है। • इसमें मात्र दो सिंचाई की आवश्यकता होती है। इसमें पहली सिंचाई फूल आने के पहले और दूसरी सिंचाई दाना भरने के दौरान की जाती है। इससे इसकी खेती में कम पानी लगता है। • यह कम समय में होने वाली फसल में से एक है। • बारिश में भी इसकी खेती की जा सकती है।

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निष्कर्ष

आपने यहाँ पर जाना की तोरिया की खेती कैसे की जा सकती है। आशा है कि किसान भाइयों को यह जानकारी पसंद आयी होगी। आप इसी तरह से अपने खेती से जुड़े हुए ब्लॉग को पढ़ने के लिए GEEKEN CHEMICALS के साथ जुड़े रहें। आप हमारे इस ब्लॉग को अपने सोशल मीडिया पर भी शेयर कर सकते है जिससे यह जानकारी ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुँच सकें।

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