मिर्च की फसल में लगने वाले प्रमुख रोग और उनके रोकथाम का आसान तरीका

आर्द्रगलन रोग (डेम्पिंग ऑफ)

लक्षण

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यह मिर्च में एक प्रमुख रोग है, जो पौधशाला में आता है| इस रोग का कारक एक भूमि जनित फफूद (पीथियम एफानीडरमेटस) है| इस रोग के कारण पौधे उगने से पूर्व तथा उगने के कुछ दिन बाद मर जाते हैं| जब पौधे उगने से पूर्व मर जाते हैं, तो किसानों को यही आभास होता है, कि बीज का जमाव कम था| रोग का प्रकोप जब पौधे निकलने के पश्चात् होता है, तो रोगग्रसित पौधे प्रायः गिर जाते हैं| ऐसे पौधे में जमीन के सतह के समीप वाला प्रभावित तना मुलायम हो जाता है| जैसे ही मिर्च में रोग का प्रकोप बढ़ता है, प्रभावित भाग का तना सिकुड़ जाता है और पौधा गिर जाता है| पौधशाला में अधिक नमी, पौधों की अधिक संख्या और अधिक तापमान का बढ़ना रोग में सहायक पाए गए है। इसके लिए आप GEEKEN CHEMICALS का बना प्रोडक्ट Kenzeb (Mancozeb 75% WP) और Kenzim (Carbendazim 50% WP) का प्रयोग कर सकते है।

फल गलन व टहनी मार रोग

लक्षण

मिर्च में यह रोग भी एक फफूदी (कोलेटोट्राइकम कैपिसकी) से होता है| प्रभावित पके फलों पर भूरे या काले रंग के धब्बे बनते हैं, जिनके बीच में काले-काले बिंदु जैसे आकार भी बन जाते हैं, जो फफूद की बीजाणु (बसर ब्रुलाई) होते हैं| प्रभावित फलों के बीज के ऊपर भी फफूद उग जाता है और फल सिकुड कर सूख जाते हैं| इस फफूदी के कारण कभी - कभी डाई -बैक नामक रोग नहीं आता है। इससे पूरी शाखा सुख जाती है। आंशिक रूप से प्रभावित पौधे में कुछ फल लगते हैं, परंतु उनकी गुणवत्ता अच्छी नही होती है| एंट्रैक्नोज के प्रकोप के फलस्वरूप पत्तियों एवं हरी मिर्ची के ऊपर काले रंग के धब्बे बनते हैं| जिनके चारों तरफ का भाग पीला और भूरा पड़ जाता है| फल धब्बों वाले भाग के पास समय से पूर्व पकने आरंभ हो जाते हैं| फलों का सिकुड़ना सूखना और पौधे से गिरना भी इसी रोग के कारण होता है| इस रोग का प्रकोप अगले वर्ष रोगी पौधे के अवशेष तथा रोगग्रस्त बीज द्वारा होता है|इसके लिए आप GEEKEN CHEMICALS का बना प्रोडक्ट Kenzin (Atrazine 50% WP)प्रयोग कर सकते है। यह भी पढ़ेंजानिए टमाटर में लगने वाले प्रमुख रोग और इसके रोकथाम के आसान तरीके

मरोड़िया और मोजेक रोग

लक्षण- मिर्च में ये दोनों ही रोग विषाणु द्वारा होते हैं और मिर्च फसल के भयानक रोग समझे जाते हैं| प्रभावित पौधे की बढ़वार रुक जाती है और उनकी पत्तियां टेढ़ी-मेढ़ी मुडी हुई एवं मोटी हो जाती है| नयी पत्तियों में हरियाली का अभाव हो जाता है| प्रभावित पौधों में बहुत ही कम फल लगते हैं, जिनका आकार खराब हो जाता है और ऐसे फल छोटे रह जाते हैं| मिर्च में उपरोक्त दोनों ही रोग पौधे पर एक साथ देखे जा सकते हैं| मरोड़िया और मोजैक रोगों का प्रसार खेत में एक पौधे से दूसरे पौधे तक सफ़ेद मक्खी तथा चेपा द्वारा होता है। इसके लिए आप Ribban (Captan 70% + Hexaconazole 5% WP) का प्रयोग कर सकते है।

निष्कर्ष

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