यहाँ जानिए अंगूर की खेती करने का सबसे आसान तरीका

अंगूर की खेती पुरे भारत में की जाती है। अंगूर के फल बहुत ही स्वादिष्ट और शरीर के लिए लाभप्रद होते है। आज के समय में इसकी खेती भी लगातार बढ़ती जा रही है। अगर हम पिछले कुछ समय की बात करें तो इसकी खेती का क्षेत्रफल बहुत तेजी से बढ़ा है। अगर देखा जाये तो भारत में इसकी खेती सबसे ज्यादा दक्षिण में कर्नाटक, महाराष्ट्र, आन्ध्र प्रदेश और तमिलनाडु जैसे राज्यों में सबसे ज्यादा की जाती है। जबकि उत्तर भारत में इसकी बागवानी की जाती है। जिसके प्रमुख राज्य पंजाब, हरियाणा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश, राजस्थान व दिल्ली है। अगर हम अंगूर की खेती की बात करें तो इसकी खेती उत्तर भारत में वर्ष में केवल एक बार जून के महीने में की जाती है जबकि दक्षिण भारत में दो बार की जाती है। इसके बेल में वृद्धि बहुत तेजी से होती है। आप यह ब्लॉग GEEKEN CHEMICALS के माध्यम से पढ़ रहें है। हम आप तक कृषि से जुडी जानकारी उपलब्ध करवाते है। इसके आलावा हम बेहतर तरीके से फसल उत्पादन के लिए फसलों में लगने वाले कीटों , खरपतवार और कवकनाशी Pesticide Chemicals भी बनाते है। जिसका प्रयोग करके आप अपने फसल की पैदावार बढ़ा सकते है।

और पढ़े –: जानिए कैसे करें अरंडी की खेती और इसमें लगने वाले रोगों को खत्म करने का तरीका

उपयुक्त जलवायु

अंगूर की खेती के लिए भारत में गर्म, शुष्क, तथा दीर्घ ग्रीष्म ऋतू सबसे अच्छी मानी जाती है। अधिक तापमान वाली जगह पर इसकी खेती नहीं करना चाहिए। अक्सर यह देखा गया है कि अधिक तापमान होने पर इसमें रोग ज्यादा लगते है , जिसका असर पके हुए फलों पर देखने को मिलता है। जब भी अंगूर पक रहें हो तो वर्षा या बादल का होना भी इसे नुकसान पंहुचा सकता है। इसकी वजह से अंगूर के फल पूरी तरह से फट जाते है और फलों की गुणवत्ता को नुकसान पहुँचती है। इसलिए किसान भाइयों को तय समय में ही अंगूर की खेती करनी चाहिए।

भूमि का चयन

इसकी खेती के लिए सभी तरह की मिट्टी अच्छी होती है। आँगुर के जड़ों की संरचना काफी मजबूत होती है। जिसकी वजह से यह कंकरीली,रेतीली से चिकनी तथा उथली से लेकर गहरी मिट्टियों में आसानी से उगाया जा सकता है। लेकिन इसके लिए सबसे अच्छी मिटटी रेतीली और दोमट मानी गई है। अधिक चिकनी मिटटी वाली जगह पर इसकी खेती करने से बचना चाहिए।

सिंचाई प्रबंधन

अंगूर की सिचाई लताओं के आने पर ही करनी चाहिए। इस समय अगर मिट्टी में नमी होती है तो इसका बहुत ही हानिकारक प्रभाव पड़ता है। जिसके कारण फलों के आकर और गुणवत्ता में भी रूकावट देखी गयी है। फलों के पकने पर अगर आप इसकी भागवत करते है तो फलों में काफी वृद्धि देखी जा सकती है, इसके साथ ही फल में चमकीला पन भी देखा जा सकता है।

कभी - कभी किसान फलों को तोड़ते हुए भी इसकी सिचाई कर देते है जिससे फलों का आकर तो बढ़ जाता है लेकिन गुणवत्ता में काफी कमी देखि जा सकती है। इसलिए इसकी सिचाई तापमान और पर्यावरण स्थितियों को ध्यान में रखकर करना चाहिए। अगर आप खाद का प्रयोग जा रहें है तो सिचाई जरूर कर दें। गर्मी के समय में अंगूर के पौधे को एक सप्ताह के अंतराल में सिचाई करनी चाहिए। जून के महीने में अगर गर्मी अधिक है तो आप इसकी सिचाई दो बार कर सकते है। नवम्बर से लेकर जनवरी तक अंगूर के पौधे को ज्यादा पानी की जरूरत नहीं पड़ती। इसके आलावा बरसात के मौसम में इसकी फसल को ज्यादा पानी की जरूरत नहीं पड़ती इसलिए अगर बरसात न हो तो सिचाई सप्ताह में एक बार ही करना चाहिए।

कटाई-छटाई एवं सधाई

अंगूर की खेती में कटाई छटाई का लग ही महत्व है। जितनी अच्छी कटाई और छटाई होगी पैदावार भी उतना अच्छा होता है। अगर आप अंगूर की लताओं की समय - समय पर कटाई और छटाई करते है तो , इसके फल अच्छी तरह से वृद्धि करेंगे और पैदावार भी अच्छी होगी।

निराई -गुड़ाई

अंगूर की फसल में मुख्यतः बरसात के मौसम में खरपतवार ज्यादा दिखाई पड़ते है , इसके कारण इनके बढ़वार में कमी आती है और पौधे कमजोर हो जाते है। जिस समय पौधे कमजोर होते है हानिकारक कीट भी आक्रमण कर पुरे पौधे को खत्म कर देते है। इसलिए इसमें खरपतवार को बढ़ने न दें और समय समय पर रासयनिक कीटनाशक और खरपतवार नाशक का भी प्रयोग करें। आप निराई - गुड़ाई करके भी खरपतवार को खत्म कर सकते है लेकिन निराई - गुड़ाई करने के बाद भी खरपतवार फिर से पनप आते है ,इसलिए आप रासायनिक कैमिकल का प्रयोग जरूर करें। किसी भी कैमिकल का प्रयोग करते समय यह ध्यान रखें कि कैमिकल बेलों की पत्तियों, शाखाओं और तने पर नहीं पड़े , इससे फल को नुकसान पहुँच सकता है। बरसात के मौसम में बेलों को दो बार निराई - गुड़ाई कर देना चाहिए। इससे अंगूर के गुच्छे अच्छे होते है। इसके आलावा आप GEEKEN CHEMICALS का भी प्रयोग कर सकते है। इसके प्रयोग से अंगूर के खरपतवार पूरी तरह से खत्म हो जायँगे।

फलों की तुड़ाई

अंगूर के गुच्छे को पूरी तरह से पाक जानें के बाद ही तोडना चाहिए। इसे आप खा कर भी चेक कर सकते है। जब दानें खाने योग्य और मुलायम दिखने लगे तब इसे तोड़ देना चाहिए। अगर हो सकें तो , फलों की तुड़ाई सुबह या फिर शाम को करनी चाहिए ताकि तुड़ाई के बाद इसे अच्छी तरह से पैक किया जा सकें। दिन में तोड़े हुए फल को 2-3 घंटे छाया में छोड़ देना चाहिए।

और पढ़े –: जानिए कैसे खत्म कर सकते है फसलों में लगने वाला हानिकारक रोग पाउडर फफूंदी

निष्कर्ष

आज हमने जाना कि अंगूर की खेती कैसे की जा सकती है। आप यह ब्लॉग GEEKEN CHEMICALS के माध्यम से पढ़ रहें थे। हम बेहतर तरीके से फसल उत्पादन के लिए अलग - अलग तरह के Best Quality Pesticide Manufacturers Products कीटनाशक बनाते है। जिसका प्रयोग भारत के किसान फसल में लगने वाले रोगों और कीटों को खत्म करने के लिए करते है। आप हमारे कैमिकल को ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरीके से खरीद सकते है। किसी भी तरह की अन्य जानकारी के लिए आप हमारे सलाहकार को कॉल (+91 -9999570297 ) भी कर सकते है।

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