जानिए चने की खेती करने का तरीका और सही समय , जिससे होगा किसान भाइयों को लाभ ही लाभ

चना दलहनी फसल है जिसकी खेती लगभग पूरे भारत में की जाती है। यह मानव शरीर के लिए बहुत ही लाभदायक होती है। चनें में अगर डॉ की मानें तो 21 प्रतिशत प्रोटीन तथा 60 प्रतिशत कार्बोहाइड्रेट की मात्रा पाई जाती है | सुबह - सुबह चनें का सेवन करना काफी फायदेमंद माना जाता है। चना दलहनी फसलों में से एक है। इसके खेती मध्य-पूर्वी एशियाई देशों में की जाती है। भारत में भी इसकी पैदावार काफी अच्छी होती है। इसका प्रयोग हम दाल, बेस, सत्तू सब्जी तथा अन्य कार्यों के लिए करते है। भारत में चने की खेती सिंचित क्षेत्रों के साथ - साथ असिंचित क्षेत्रों में भी की जाती है। रबी मौसम की फसल होने कारण चने की खेती शुष्क जलवायु एवम ठन्डे जलवायु में की जाती है। भारत की सरकार भी दलहनी फसलों की पैदावार बढ़ानें के लिए तरह - तरह की योजनाएं ला रही है। आप यह ब्लॉग GEEKEN CHEMICALS के माध्यम से पढ़ रहें है। GEEKEN CHEMICALS किसान की फसल सुरक्षा के लिए तरह - तरह के कीटनाशक का उत्पादन करता है और फसल की पैदावार को बढ़ता है। आप हमारे प्रोडकट को ONLINE या फिर OFFLINE दोनों तरीके से खरीद सकते है। हम भारत के किसानो के लिए लगातार उनके फसल को ध्यान में रखकर कीटनाशक बना रहें है।

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चने के लिए कैसी होनी चाहिए जमीन

चने की खेती के लिए उपजाऊ और अच्छी जल निकासी वाली मिट्टी होनी चाहिए। चने की ज्यादा पैदावार के लिए दोमट मिट्टी सबसे अच्छी मानी जाती है। इसकी खेती के लिए जमीन का PH मान 6 से 7.5 के मध्य होना चाहिए। चने का पौधा ठंडी जलवायु वाला होता है, इसकी खेती के लिए हम बारिश के समय पौधे की रोपाई करते है तथा अत्यधिक वर्षा भी पौधे के लिए हानिकारक होती है। चने के पौधे भी ठंडी जलवायु में जल्दी वृद्धि करते है लेकिन जब कभी सर्दियों में पाला गिरता है तो पौधों को काफी नुकसान पहुँचता है। वहीँ यह भी देखा गया है कि जब भी अत्यधिक गर्मी होती है तो इसमें कई तरह के रोग भी दिखाई पड़ते है। चने की खेती के लिए सामान्य तरीके का तापमान होना जरुरी है। इसके पौधों की बात करें तो 20 डिग्री तापमान में अच्छे बीज अंकुरित करते है। चने का पौधा अधिकतम 30 डिग्री तथा न्यूमतम 10 डिग्री तापमान सहन कर सकता है। इससे कम होने पर पैदावार पर काफी प्रभाव पड़ता है।

चने की खेती का कैसे करें तैयारी

चने के बीज की रुपाई से पहले हम खेत को अच्छी तरह से तैयार करते है। इसके लिए सबसे पहले खेत की अच्छे से गहरी जुताई की जाती है। जुताई के बाद आप खेत को कुछ समय तक खुला ही छोड़ दें। इससे खेत में धुप अच्छे से लगती है और हानिकारक तत्व भी खत्म हो जाते है। अगर आप खेत की पहली बार जुताई कर रहें है तो इसमें 10 से 12 गाड़ी गोबर की खाद जरूर डालें। खाद को खेत में डालने के बाद जुताई करने पर पैदावार अच्छी होती है और रोग भी जल्दी नहीं लगते है। जुताई करने के बाद पाटा लगाकर अच्छी तरह से समतल कर देना चाहिए जिसकी वजह से खेतों में जलभराव नहीं होता है।

चना बोने का समय और तरीका

चने का हम सभी बीज के रूप में रोपाई करते है। 1 एकड़ खेत के लिए 80 से 100 KG बीज की जरूरत पड़ती है था काबुली चनें के लिए 60 से 80 KG बीज की जरुरत पड़ती है। इसके बीजों की रोपाई रबी की फसल के साथ में ही की जाती है कुछ जगह पर इसके बुवाई का समय अलग है। सिंचित जगह पर इसकी बुवाई हम अक्टूबर से दिसंबर के मध्य करते है वहीँ असिंचित जगहों पर बीजों की बुवाई सितम्बर से अक्टूबर के महीने में करते है। कहीं कहीं पर इसके बीजों की रोपाई मशीन से की जाती है।

चने के लिए सिचाई

चने की बुवाई ज्यादातर असिंचित जगह पर की जाती है। जिसकी वजह से इसके पौधे को ज्यादा पानी की जरूरत नहीं पड़ती है। अगर आप सिंचित जगह पर इसकी खेती कर रहें है तो पौधों को पानी देना जरुरी होता है। चने को अधिकतम 3-4 पानी की जरुरत पड़ती है। इसकी पहली सिचाई बुवाई के 30-35 दिनों के बाद करनी चाहिए। जिससे फसल की पैदावार अच्छी होती है। वहीँ बाद में इसकी सिचाई 25 -30 दिन के अंतराल में करनी चाहिए।

कैसे करें चने का खरपतवार नियंत्रण

चने के पौधे की जड़ जमीन में होती है और चना जमीन से ही पोषक तत्व ग्रहण करता है, ऐसे में अगर खेत में खरपतवार निकलता है तो पौधों को पोषक तत्व नहीं मिल पाते है। इसलिए खरपतवार को रोकने के लिए हमें रासायनिक और प्राकृतिक दोनों तरीका आजमाना चाहिए। अगर आप चने में दो से तीन गुड़ाई कर देते है तो यह काफी फायदेमंद होता है। अच्छी पैदावार के लिए किसान को अक्सर हर 25 दिन के अंतराल पर इसकी गुड़ाई करनी चाहिए।

चने के पौधे में लगने वाले प्रमुख रोग

वैसे तो चने में कई प्रकार के रोग लगते है , जिससे फसल ख़राब हो जाती है। अगर आप इसकी पैदावार अच्छे से करना चाहते है तो , समय - समय पर आपको इसकी देखभाल करने की जरुरत है। नीचे हम चनें में लगने वाले कुछ प्रमुख रोगों के बारें में बताएंगे।

फली छेदक रोग

इस किसम के रोग अक्सर चने में जब फली बनता है तब दिखाई पड़ते है। यह रोग चने की फलियों में छेद करके उसके दानें को खा जातें है। यह कीट रोग देखने में हरे रंग के होते है। इससे फसल की पैदावार पर काफी प्रभाव पड़ता है और किसान अक्सर इस रोग की वजह से परेशान रहते है। अगर आप चने की पैदावार बढ़ाना चाहते है और फली छेदक रोग को खत्म करना चाहते है तो आपको GEEKEN CHEMICALS का कीटनाशक प्रयोग करना चाहिए। यह चने में लगने वाले कीड़ों को पूरी तरह से खत्म करता है और पौधों को मजबूत बनाता है। अगर आप चने की खेती कर रहें है तो Stello (Emamectin Benzoate 5% SG) और Yodha Super का प्रयोग कर सकते है। STELLO प्राकृतिक रूप से पाए जानें वाले जीवाणु को ख़त्म करने का काम करता है। यह मुख्य रूप से कीड़ों के लार्वा चरण को काटने और चबाने में अत्यधिक प्रभावशाली है। SETELLO को GEEKEN CHEMICALS ने इस तरह से तैयार किया है कि यह आपके उपजाऊ भूमि को बिना नुकसान पहुंचाए कीड़ों को ख़त्म करता है।

उखटा रोग

उकठा रोग चने में लगने वाले प्रमुख रोगों में से एक है। यह रोग चने के पौधे के प्रारम्भ में ही दिखाई पड़ता है। यह रोग होने पर चने की पत्तियाँ पिले रंग की दिखाई पड़ती है। यह जब भी चने में लगता है पूरी तरह से फसल को खत्म कर देता है। यह रोग ज्यादातर खड़ी फसलों में पड़ता है। अगर किसान समय रहते ही इसकी देखभाल नहीं करते है तो उनको भारी नुकसान का सामना करना पड़ सकता है। इसके लिए GEEKEN CHEMICALS के द्वारा बना कीटनाशक काफी असरदार है। जिसके प्रयोग से यह रोग आसानी से ख़त्म हो जाता है। अगर आपके चने में इस तरह के रोग लगे हुए है तो Kenzim (Carbendazim 50% WP) से इन रोगों को आसानी से खत्म कर सकते है। Kenzim (Carbendazim 50% WP) एक तरह का व्यापक प्रणालीगत कवकनाशी है , जो फसलों में लगने वाले रोगों को प्रभावी रूप से खत्म करने का काम करता है। इसका उपयोग आप फसलों में लगने वाले रोगों और सब्जियों में भी प्रयोग कर सकते है।

रस्ट रोग

यह रोग ज्यादातर चने के पौधे में फसल पकने के दौरान दिखाई पड़ती है। इस रोग से ग्रसित होने पर चने के पौधे की पत्तियां काली पड़ जाती है। इस रोग से बचाव के लिए आप GEEKEN CHEMICALS का प्रयोग कर सकते है। जो इस तरह के कीटों को खतम करने के लिए काफी असरदार है और पौधों की ग्रोथ को भी बढ़ता है। चना में लगने वाले यह फंगस कितने खतरनाक होते है जिसके बारें में आपने ऊपर पढ़ा है। वहीँ अगर किसान भाइयों आपके फसल में भी इस तरह के फंगस का प्रकोप है तो आप Bonanza (Thiophanate Methyl 70% WP) का प्रयोग जरूर करें। यह कम समय में ही फंगस को खत्म करता है और उनकी फसल को सुरक्षित बनाता है।

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अगर आप यह कीटनाशक लेना चाहते है तो अपने नजदीकी स्टोर पर जाकर आसानी से खरीद सकते है।

चने के पौधे की कटाई और लाभ

चने का पौधा 100 से 120 दिन में कटने के लिए तैयार रहता है। जब भी इसके पौधे पर लगे पत्तियों का रंग पीला दिखाई पड़े और दानें कठोर होने लगे तो इसकी कटाई कर देनी चाहिए। कटाई के बाद कुछ समय के लिए पौधों को ऐसे ही छोड़ देना चाहिए , जिससे यह आसानी से सुख सकें। इसके सूखने के कुछ दिन बाद किसान दानें को थ्रेसर के माध्यम से निकाल लेते है। कृषि एक्सपर्ट बताते है कि एक हेक्टेयर खेत में 15 से 20 क्विंटल चने की पैदावार होती है। वहीँ चने का बाजार में भाव 4 हजार से 8 हज़ार रूपए प्रति क्विंटल होता है, जिसे बेचकर किसान अच्छा पैसा कमा सकते है।

निष्कर्ष

आज हमने अपने इस ब्लॉग में जाना की चने की खेती कैसे की जाती है और इसमें लगने वाले लोगों और खरपतवार को कैसे ख़त्म कर सकते है। आप यह ब्लॉग GEEKEN CHEMICALS के माध्यम से पढ़ रहे है। आशा है कि किसान भाइयों को हमारा यह ब्लॉग पसंद आया होगा। हम आपके लिए इसी तरह के ब्लॉग लातें रहेंगे। अगर आपको हमारी यह जानकारी अच्छी लगी हो तो इसे शेयर जरूर करें , जिससे और भी किसान भाई अपनी फसल को लेकर जागरूक हो सकें। अगर आप GEEKEN CHEMICALS के Best Quality Pesticides को खरीदना या फिर उससे जुडी हुई जानकारी चाहते है तो आप हमें कॉल (+91 - 9999570297) भी कर सकते है। हम अपना प्रोडक्ट आसानी से आपके घर तक पंहुचा सकते है।

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