चौलाई की खेती कब करें , जानिए सही समय और खेती करने का तरीका

चौलाई की खेती भारत के बहुतायत क्षेत्र में की जाती है। चौलाई को हम पत्ता सब्जी के रूप में उगाते है। यह एक तरह की नगदी फसल है। हमारे देश के अलावा भी चौलाई की खेती कई देशों में की जाती है। जिनमें दक्षिणी पूर्वी एशिया, पूर्वी अफ्रीका, मध्य एवं दक्षिणी अमेरिका और पश्चिम अफ्रीका जैसे देश शामिल है। इसे हम कहीं - कहीं पर रामदाना और राजगिरी के नाम से भी जानते है। चौलाई का पौधा एक से दो मीटर तक ऊँचा होता है , हमारे घर में इसके पत्ते से सब्जी बनाई जाती है। इसके लिए अर्ध शुष्क वातावरण सबसे अच्छा माना जाता है। वहीं इस पौधे के विकास के लिए सामान्य तापमान जरुरी है। इसकी खेती को किसान भाई गर्मी और बरसात के मौसम में आसानी से कर सकते है। लेकिन कृषि एक्सपर्ट की मानें तो उपज की अच्छी पैदावार के लिए इसकी खेती शुष्क मौसम में करना अच्छा होता है। पिछले कुछ सालों की अगर हम बात करें तो किसान भाई इसकी खेती करके अच्छा पैसा कमा रहें है। अगर आप चौलाई की खेती करके अच्छा पैसा कमाना चाहते है तो आज का यह ब्लॉग आपके लिए ही है। आप इस ब्लॉग के माध्यम से परवल की खेती कैसे करें और इसमें लगने वाले प्रमुख रोग कौन - कौन से है और उन्हें कैसे खत्म कर सकते है इन सभी चीजों के बारें में जानेंगे। आप यह ब्लॉग GEEKEN CHEMICALS के माध्यम से पढ़ रहें है। हम आप तक खेती - बड़ी से जुडी जानकारी साँझा करते है। आप GEEKEN CHEMICALS के माध्यम से अपने फसल में लगने वाले रोगों और कीड़ों को भी आसानी से खत्म कर सकते है। क्योंकि हम भारत के किसान भाइयों के लिए बेहतर तरीके का कीटनाशक बनाते है और उनकी फसलों को सुरक्षा प्रदान करते है। आज भारत के सभी राज्यों के किसान GEEKEN CHEMICALS के कीटनाशक प्रयोग करके अपना भरोसा जता रहें है। अगर आप हमारे कीटनाशक को खरीदना चाहते है तो आप हमें कॉल (+91 - 9999570297) भी कर सकते है।

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चौलाई के पौधे के बारें में खास जानकारी

किसान भाइयों चौलाई खरपतवार पौधों की ही एक जाति है, जिसकी खेती पुरे विश्व में की जाती है। इसका वानस्पतिक नाम अमेरेन्थस स्पिनोसस है। पूरे विश्व में अबतक इसकी 60 प्रजातियों की पहचान की गयी है। चौलाई सीधा और 80 सेमी तक ऊँचा शाकीय पौधा है। अगर हम इसके पत्ते की बात करें तो एकान्तर, भालाकार या आयताकार 3 से 9 सेमी लम्बे तथा 2.5 से 6 सेमी तक चौड़े होतें है। चौलाई के फूल पीले - हरे रंग के या लाल बैगनी रंग के गुच्छों में लगे हुए होते है। ज्यादातर सब्जियों की खेती हम ठंड के मुसम में करते है लेकिन चौलाई को गर्मी और वर्षा दोनों ऋतुओं में उगाया जा सकता है। कृषि एक्सपर्ट की मानें तो गर्मी में इसकी अच्छी ऊपज मिलती है।

कैसे करें चौलाई की खेती (Amaranth Farming in Hindi)

इसकी खेती को किसान किसी भी मिट्टी में आसानी से कर सकते है। लेकिन कार्बनिक पदार्थ से युक्त मिट्टी में चौलाई की खेती करना काफी फायदेमंद माना जाता है। इसकी खेती कभी भी जल भराव वाली जगह पर नहीं करनी चाहिए , कृषि के जानकर लोगों की मानें तो चौलाई की खेती के लिए उचित जल निकासी वाली जमीन सबसे अच्छी होती है। वहीं अगर हम इसकी खेती के लिए भूमि के पीएच मान की बात करें तो भूमि का पीएच मान 7 से 8 तक होना चाहिए। इसे हम शीतोष्ण और समशीतोष्ण जलवायु वाले पौधों की श्रेणी में रखते है। गर्मी के समय में इसके पौधे बहुत अच्छे से विकास करते है लेकिन ठण्ड के मुसम में इसकी खेती नहीं करनी चाहिए। अगर बारिश हल्की हो रही है तो आप इसकी खेती कर सकते है लेकिन यह ध्यान रहें की खेत में पानी न लगने पाए। ज्यादा जल भराव होने पर इसके पौधे में रोग लग जाते है और पूरी तरह से सड़ के खत्म हो जाते है। अगर कृषि एक्सपर्ट की मानें तो इसके पौधे को अंकुरित होने के लिए 20 से 25 डिग्री तापमान की जरूरत होती है। जब चौलाई के पौधे विकास करने लगते है तो 30 डिग्री का तापमान होना चाहिए। चौलाई के पौधे को सबसे कम 15 डिग्री और अधिकतम 40 डिग्री तापमान सबसे उपयुक्त मानी जाती है। इस तरह के तापमान में चौलाई के पौधे आसानी से और जल्द विकास करते है।

चौलाई के खेत की तैयारी एवं उवर्रक की मात्रा (Amaranth Field Preparation and Fertilizer Quantity)

चौलाई की उत्तम पैदावार के लिए मिट्टी भुरभुरी होनी चाहिए। क्योंकि भुरभुरी मिटटी में बीज का अंकुरण अच्छे से होता है और पौधे जल्द विकास करते है। किसान चौलाई की बुवाई से पहले खेत को अच्छे से जुताई करवा सकते है जुताई के बाद खेत को खुला ही छोड़ देना चाहिए इससे खेत में धूप अच्छी लगती है और खरपतवार भी खत्म हो जाते है। आप चाहें तो इसके खेत में गोबर के खाद का प्रयोग कर सकते है। जुताई के बाद खेत में पानी लगा देना चाहिए और जब पानी सुख जाये तो उसकी एकबार और जुताई करवा देनी चाहिए। आप चाहें तो रोटावेटर लगाकर इसकी मिटटी को भुरभुरा कर सकते है। अगर किसान भाई इस तरह से अपने खेत को तैयार करते है तो बिना खरपतवार के अच्छी पैदावार देखने को मिलेंगी। इसके खेत में होने वाले जलभराव को खत्म करने के लिए आप पाटा लगाकर खेत को समतल करवा सकते है। ऐसा करने से जलभराव की समस्या नहीं रहेगी और रोग भी नहीं लगेंगे।

चौलाई के बीजो की रोपाई, समय और तरीका (Amaranth Seeds Sowing time and Method)

चौलाई की खेती करने से पहले हमें इसके रोपाई ली विधि समय और तरीका जानना बहुत जरुरी है। किसान इसके बीज की रोपाई बीज के ही रूप में करते है। भारत में चौलाई के बीज की रोपाई दो विधि से की जाती है। पहला छिड़काव विधि, जिसे इसकी बीज को समतल भूमि पर छिड़क देते है और कल्टीवेटर लगाकर खेत में चला देते है। ऐसा करने से इसके बीज जमीन के गहराई तक चलें जातें है। अगर आप ड्रिल विधि से इसकी बीजों की रोपाई कर रहें है तो उसके लिए खेत में आपको पंक्तियाँ बनानी पड़ेगी। इन पंक्तियों में किसान भाई कम से कम 10 सेमी की दूरी पर 2 से 3 सेमी की गहराई में इसके पौधे को लगा सकते है। चौलाई के बीज की रोपाई के लिए बारिश का मौसम सबसे अच्छा माना जाता है। बरसिश के समय में अच्छी पैदावार के लिए आप बीजों की रोपाई मई से जून के मध्य कर सकते है। इसके अलावा सब्जी के रूप में पौधे को उगानें के लिए अगस्त से सितम्बर का महीना सबसे अच्छा माना जाता है। इस महीने में चौलाई की खेती करने पर पैदावार अच्छी होती है और रोग का प्रकोप भी कम होता है।

कैसे करें चौलाई की फसल में खरपतवार नियंत्रण (Amaranth Crop Weed Control )

दोस्तों चौलाई के पौधे को सबसे ज्यादा खरपतवार नियंत्रण की जरूरत पड़ती है। इसलिए इसकी समय - समय पर निराई - गुड़ाई करते रहना चाहिए। अगर आप चौलाई के पौधे से हरी पत्ती प्राप्त करना चाहते है तो इसके खरपतवार पर विशेषरूप से ध्यान देना होगा। क्योंकि खरपतवार की वजह से इसकी फसल में कीट रोग का प्रभाव बढ़ जाता है और पैदावार कम होती है। चौलाई में खरपतवार को खत्म करने के लिए प्राकृतिक विधि निराई - गुड़ाई करनी चाहिए। कृषि के जानकारों की मानें तो इसकी पहली गुड़ाई 10 -15 दिन के बाद तथा इसके बाद 40 दिन के पश्चात् करना सही होता है। चौलाई के पौधे से लिए 2 -3 गुड़ाई अच्छी मानी जाती है। आप इसके खरपतवार को ख़त्म करने के लिए GEEKEN CHEMICALS के कीटनाशक का भी प्रयोग कर सकते है। जो बाजारों में आसानी से उपलब्ध है। GEEKEN CHEMICALS सबसे अच्छा Pesticides manufacturers COMPANY in uttar pradesh में से है।

चौलाई के फसल की कटाई, पैदावार एवं लाभ (Amaranth Crop Harvesting, Yield and Benefits)

चौलाई के पौधे से सबसे बड़ा फायदा यह है कि इसकी कटाई हम दो बार पैदावार को प्राप्त करने के लिए कर सकते है। कृषि एक्सपर्ट की मानें तो इसकी कटाई बीज रोपाई के 30 - 40 दिनों के बाद कर लेनी चाहिए। इसके अलावा आप पकी फसल की कटाई 90 -100 दिनों के बाद कर सकते है। आज के समय में किसान भाइयो के लिए चौलाई महत्वपूर्ण खेती में से एक है। इसकी खेती कम लागत में अच्छा आमदनी प्रदान कर सकती है।

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निष्कर्ष

आज के इस ब्लॉग में आपने जाना की चौलाई की खेती कैसे कर सकते है और इसके खरपतवार को खत्म करने के लिए हमें क्या करना चाहिए। आशा है कि किसान भाइयों को हमारा यह ब्लॉग पसंद आया होगा। आप हमारे इस ब्लॉग को अपने सोशल मीडिया के माध्यम से जरूर शेयर करें। जिससे और भी किसान भाई अपने खेती को लेकर जागरूक हो सकें। GEEKEN CHEMICALS विगत कई वर्षों से कीटनाशक बनाता आ रहा है। GEEKEN CHEMICALS सबसे अच्छा Pesticides manufacturers COMPANY in India में से है। इन कीटनाशक का प्रयोग करके आप अपने फसल में लगने वाले कीटों , रोगों , खरपतवार , को आसानी से खत्म कर सकते है। हमारे कीटनाशक को खरीदने के लिए आप कॉल (+91 - 9999570297) भी कर सकते है।

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