उड़द की खेती करने का बेहतरीन तरीका , जिससे होगी ज्यादा पैदावार

उड़द एक तरह की दलहनी फसल है , जिसकी खेती भारत में प्रमुखता से की जाती है। उड़द में आयरन पाया जाता है , इसलिए लोग इसके दाल को बड़े ही चाव से खाते है। उड़द की दाल हमारे ब्लड प्रेशर को कभी कम करता है। उड़द की दाल हमारे एनर्जी के लेबल को भी बढ़ाता है , जिससे हमारे शरीर की हड्डियां मजबूत होती है। अगर डायबटीज के मरीज को इसकी दाल नियमित रूप से पिलाई जाए तो इसे खत्म किया जा सकता है। हमारे घरों में उड़द को पीसकर कई तरह के अन्य पकवान भी बनाये जाते है। इसलिए उड़द की मांग भी हमेशा रहती है। आज के इस ब्लॉग में हम जानेंगे की उड़द की खेती कैसे की जा सकती है। किसान भाइयों अगर आप उड़द की खेती करने जा रहें है तो आज यह ब्लॉग जरूर पढ़ें जिससे आप अच्छी तरह से खेती कर सकें।

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और पढ़े –: जानिए कैसे करें आंवला की खेती और लगने वाले प्रमुख कीट एंव रोग उपचार

उड़द की फसल के लिए उत्तम जलवायु

किसान भाइयों इसकी फसल के लिए उष्ण कटिबंधीय जलवायु तथा आद्र एवं गर्म जलवायु सबसे अच्छी मानी जाती है। अगर किसान भाई इस जलवायु के हिसाब से खेती करते है तो अच्छी पैदावर देखने को मिलती है। भारत में इसकी खेती अलग -अलग जलवायु के हिसाब से की जाती है। अगर हम राजस्थान की बात करें तो वर्षा ऋतु में इसकी खेती सबसे ज्यादा होती है। अगर हम उड़द की फसल के लिए तापमान की बात करें तो इसकी फसल को 20 से 21 डिग्री सेल्सियस तापमान की जरुरत पड़ती है।

उड़द की फसल के लिए मिट्टी का चयन

किसान भाइयों हमारे सामने खेती को लेकर सबसे ज्यादा समस्या मिट्टी के चुनाव को लेकर होती है। कभी - कभी हम गलत मिटटी में फसल का उत्पादन करने लगते है , जिससे हमारी पूरी फसल बर्बाद हो जाती है। इसलिए हमेशा मिट्टी की जाँच करके ही फसल की बुवाई करनी चाहिए। किसान भाइयों अगर आप उड़द की खेती करने जा रहें है तो इसके लिए आपको अच्छे जल निकास वाली दोमट तथा चिकनी मिट्टी की जरुरत पड़ेगी। यह मिट्टी उड़द की फसल को और भी ज्यादा उपजाऊ बनाती है। अगर हम इसकी खेती के लिए पीएच मान की बात करें तो भूमि का PH मान 7 से 8 के बीच में होना चाहिए।

कैसे करें भूमि की तैयारी

किसान भाइयों हमें किसी भी फसल की बुवाई करने से पहले अपने खेत को अच्छी तरह से तैयार करना चाहिए। उड़द की खेती हमेशा मिट्टी पलटने वाले हल से जुताई करके ही करना चाहिए। कृषि एक्सपर्ट बताते है कि जुताई करने के बाद खेत में गोबर का खाद डालकर कुछ दिनों के लिए ऐसे ही छोड़ देना चाहिए। जब खेत में अच्छी तरह से धुप लग जाये तो आप ट्रैक्टर से 2 बार और जुताई करवा सकते है। अब जुताई के बाद पाटा लगाकर खेत को अच्छी तरह से समतल कर देना चाहिए,इससे खरपतवार और रोग लगने की आशंका कम होती है। अगर आपका खेत साफ - सुथरा है तो , फसल भी अच्छी पैदावार देगी।

कैसे करनी चाहिए उड़द के पौधों की सिंचाई

किसान भाइयों उड़द के पौधे को सामान्य सिचाई की जरूरत पड़ती है। इसकी पहली सिचाई रोपाई करने के 20 -25 दिन के बाद कर देनी चाहिए। इसके बाद आप 10 से 15 दिन के अंतराल पर सिचाई कर सकते है। उड़द के पौधे को ज्यादा सिचाई की जरूरत नहीं पड़ती है। इसकी सिचाई करते समय यह ध्यान रखना चाहिए , पौधों की जड़ों के पास ज्यादा पानी न लग पाए।

उड़द की कटाई

उड़द की कटाई बीज रोपाई के 3 महीने के बाद कर लेनी चाहिए। जब भी पत्तियां पीले रंग की और फलियों का रंग काला पड़ जाए तो इसे काट लें। इसके पौधे को खेत में सूखा लिया जाता है। सुखी हुई फलियों को थ्रेसर के माध्यम से निकालते है। इसकी खेती करने से किसान भाइयों को काफी फायदा हो सकता है।

और पढ़े –: जानिए बगीचे में नवंबर के महीने में कौन सा पौधा लगाना चाहिए

निष्कर्ष

दोस्तों आज के इस ब्लॉग में हमनें जाना की उड़द की खेती कैसे की जाती है , आशा है कि किसान भाइयों को हमारा यह ब्लॉग पसंद आया होगा। आप हमारे इस ब्लॉग को अपने सोशल मीडिया के माध्यम से शेयर जरूर करें। GEEKEN CHEMICALS इसी तरह से आपके लिए खेती - बाड़ी से जुडी जानकारी को लाता रहेगा। आप GEEKEN CHEMICALS के कीटनाशक को खरीदने के लिए हमें कॉल(+91 - 9999570297) भी कर सकते है।

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