राजमा की खेती कैसे करें ,यहां जानिए राजमा की खेती की विधि

सभी फसलों की तरह ही राजमा भी सबसे अच्छी फसल मानी जाती है। राजमा में कई तरह के पोषक तत्व पाए जाते है , जिससे हमारे शरीर को भरपूर मात्रा में विटामिन मिलता है। जो लोग मांस , अंडा आदि का सेवन नहीं करते है उनके लिए राजमा की सब्जी सबसे अच्छी मानी जाती है। राजमा के सेवन से कई तरह के फायदें भी है , यह हमारे सेहत के लिए कई तरह से पोषक तत्व की कमी को दूर किया जा सकता है। भारत में ज्यादातर किसान इसकी खेती पहाड़ी क्षेत्रों में कर सकते है। हमारे बाजारों में भी राजमा की मांग खूब है , इसलिए किसान इसकी खेती करके अच्छा पैसा कमा सकते है। आज के इस ब्लॉग में हम आपको बताने वाले है कि राजमा की खेती कैसे की जाती है। किसान भाइयों को इसकी खेती करते समय कुछ बातों को ध्यान रखना पड़ेगा , जिससे अच्छी कमाई की जा सके। किसान भाइयों को इसके बीज का चुनाव भी सही तरीके से करना चाहिए , जिससे पैदावार पर किसी भी तरह का प्रभाव न पड़ सके।

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दोस्तों आप यह ब्लॉग GEEKEN CHEMICALS के द्वारा पढ़ रहें है। हम आपके लिए कृषि जगत से जुडी जानकरी को पहुँचाने का काम करते है। इसके अलावा GEEKEN CHEMICALS अलग - अलग तरह का कीटनाशक , खरपतवारनाशक और पौधों की ग्रोथ के लिए कैमिकल भी बनाता है। किसान अगर अपने फसलों का बेहतर तरीके से उत्पादन करना चाहते है तो हमारे प्रोडक्ट का प्रयोग कर सकते है। किसान भाइयों की सुविधा के लिए हम उनकी फसलों से जुड़ी जानकारी भी प्रदान करते है ऐसे में किसान हमारे ब्लॉग को पढ़कर अपने फसल का उत्पादन बेहतर तरीके से कर सकते है।

राजमा की खेती

राजमा की खेती के लिए अच्छी मिट्टी , जलवायु और तापमान की जरूरत पड़ती है। राजमा की खेती उचित जल निकासी वाली जमीन पर भी आसानी से करना चाहिए। इसकी खेती के लिए उचित जलनिकासी वाली बलुई दोमट मिट्टी की जरूरत पड़ती है। राजमा की खेती के लिए जमीन का पी एच मान 6.5 से 7.5 के मध्य होना चाहिए। यह आद्र और शुष्क जलवायु की फसल है , जिसके लिए जलवायु और तापमान सबसे ज्यादा अहमियत रखता है। भारत में इसकी खेती खरीफ और रबी दोनों मौसम में की जाती है।

किसान भाइयों राजमा के पौधे को बड़ा होने के लिए सामान्य तापमान की जरूरत पड़ती है। अधिक गर्म और अधिक सर्द इसकी फसल को खराब कर सकती है। राजमा के बीजों को अंकुरण के समय 20 से 25 तापमान का होना जरुरी है। राजमा में जब तापमान अधिक होता है तो पौधे के पत्ते झड़ने लगते है।

राजमा के खेत की तैयारी

राजमा के खेत को तैयार करने के लिए सबसे पहले मिट्टी पलटने वाले हल से जुताई करनी चाहिए , जिससे पुरानी फसल के अवशेष खत्म हो जाए। खेत की जुताई के बाद कुछ समय के लिए ऐसे ही छोड़ दें। इसके बाद किसान चाहे तो गोबर के खाद का डालकर फिर से जुताई कर दें। अगर गोबर का खाद अच्छे से खेत में मिल जाता है तो हानिकारक कीट अंदर ही अंदर खत्म हो जाते है और पैदावार भी काफी अच्छी होती है। गोबर का खाद जब मिट्टी में अच्छे से मिल जाये तो पानी लगाकर खेत को अच्छे से पलेव कर लेना चाहिए। सबसे अंत में मिट्टी को भुरभुरा करने के लिए सबसे अंत में रोटावेटर लगाकर जुताई करनी चाहिए। जुताई के बाद किसान भाइयों को खेत अच्छे से पलेव कर लेना चाहिए। अगर इसमें किसी भी तरह का खरपतवार दिखाई पड़े तो खरपतवारनाशी कैमिकल का प्रयोग करना चाहिए।

राजमा के बीज की रोपाई करने का तरीका

राजमा के बीज की रोपाई हम ड्रिल विधि से करते है , इसके बीज को हम पंक्तियों में रोपते है ऐसे में रोपाई करते समय इनके बीच दूरी रखना जरुरी है। किसान अगर ड्रिल विधि से इसकी रोपाई करते है तो पैदावार ज्यादा हो सकती है। इसके इसके पौधे में किसी भी तरह का रोग लगता है तो किसान GEEKEN CHEMICALS के द्वारा बने कीटनाशक का प्रयोग कर सकते है। किसान भाइयों अगर हम भारत की बात करें तो इसकी खेती अलग - अलग स्थान पर वहां के जलवायु के हिसाब से की जाती है। पहाड़ी इलाके में इसकी खेती खरीफ के मौसम में की जाती है। भारत के उत्तर - पूर्वी क्षेत्रों में इसकी खेती नवंबर के महीने में की जाती है। राजमा की खेती कुछ इलाके में जनवरी के महीने में भी किया जाता है।

राजमा के पौधों की सिंचाई

किसान भाइयों राजमा के पौधे को आवश्यकता के अनुसार सिंचाई करनी चाहिए। इसकी पहली सिचाई बीज रोपाई के 20 -25 दिनों के बाद कर सकते है। किसान अगर सूखी भूमि इसकी खेती कर रहें है तो , खेत में नमी बनाये रखने के लिएहल्की सिंचाई जरूर कर दें। राजमा के पौधे को 4 -5 सिंचाई की जरूरत पड़ती है। जिससे इसका पौधा तेजी से वृद्धि कर सके और पैदावार भी अच्छे से प्राप्त हो सके। किसान भाइयों इसके पौधे को अच्छे से देखभाल करने की जरूरत पड़ती है।

राजमा की फसल में खरपतवार नियंत्रण

किसान भाइयों सभी फसलों की तरह ही राजमा की फसल में भी अलग - अलग तरह के खरपतवार दिखाई पड़ते है ऐसे में इसकी देखभाल करना जरुरी है। इसके खरपतवार को खत्म करने के लिए हम रासायनिक और प्राकृतिक दोनों तरीका आजमा सकते है। रासायनिक विधि से इसके खरपतवार को खत्म करने के लिए आप GEEKEN CHEMICALS के द्वारा बने कीटनाशक का प्रयोग कर सकते है। GEEKEN आज के समय में सबसे अच्छी कीटनाशक बनाने वाली कंपनी है। प्राकृतिक विधि से इसके खरपतवार को ख़त्म करने के लिए समय - समय पर निराई - गुड़ाई करना जरुरी है। इसकी पहली गुड़ाई 20 -30 दिन के बाद कर सकते है।

राजमा के फसल की कटाई पैदावार और कमाई

राजमा के पौधे को तैयार होने में कम से कम 120 -130 दिन का समय लग जाता है , इसके बाद इसकी पत्तियां पीली दिखाई पड़ने लगें तो कटाई कर लेनी चाहिए। पौधे की कटाई के बाद इसे अच्छे से धूप में सूखना चाहिए। किसान भाइयों आज के समय में इसकी मांग हमारे बाजारों में भी काफी ज्यादा है ऐसे में इसकी खेती करके किसान अच्छा पैसा कमा सकते है।

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निष्कर्ष

आज के इस ब्लॉग में हमने राजमा की खेती के बारे में जानकारी हांसिल की। आशा है कि किसान भाइयों को हमारी यह जानकारी पसंद आई होगी। इसलिए हमारे इस ब्लॉग को किसान भाइयों शेयर करना न भूलें। किसान भाइयों आज के समय में अलग - अलग तरह के कीट , खरपतवार, रोग हमारी फसलों को नुकसान पहुचातें है ऐसे में GEEKEN CHEMICALS इन्हें खत्म करने के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। आज के समय में GEEKEN CHEMICALS को 10 लाख से भी ज्यादा किसान प्रयोग करके अपना भरोसा जता रहे है। अगर आप भी हमारे कीटनाशक को खरीदना चाहते है तो कॉल (+91 -9999570297) करें।

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