सोयाबीन की खेती कैसे करें और इसमें लगने वाले रोग और उनसे बचाव के उपाय
सोयाबीन भी प्रमुख फसलों में से एक है। भारत में इसकी खेती भी बड़े पैमाने में की जाती है। यह विश्व में लगभग 25 % वानस्पतिक तेल की मांग को पूरा करता है। इसका तेल बहुत ही उच्च गुणवत्ता का होता है। भारत में भी इसका उपयोग अधिकांशतः वानस्पतिक तेल के लिए ही होता है, मध्यप्रदेश में सोयाबीन खरीफ की एक प्रमुख फसल है।देश में सोयाबीन उत्पादन में मध्यप्रदेश अग्रणी है, आज हम जानेंगे की सोयाबीन की खेती कैसे करें। इसमें लगनें वाले रोग कौन - कौन से है और इनसे कैसे बचाया जाये।
सोयाबीन की बुवाई
सोयाबीन की बुवाई अक्सर जुलाई-अगस्त महीने में शुरू होती है। ऐसे में किसान भाई अच्छी पैदावार के लिए उन्नत किस्म की बीजों के द्वारा इसकी बुवाई करता है। सोयाबीन के किसानों को अच्छे भाव मिलते हैं क्योंकि सोयाबीन से तेल निकाला जाता है। इसके अलावा सोयाबीन से सोया बड़ी, सोया दूध, सोया पनीर आदि चीजें बनाई जाती है। बता दें कि सोयाबीन तिलहनी फसलों में आता है और इसकी खेती देश के कई राज्यों में होती है। विशेषकर मध्यप्रदेश में इसकी खेती प्रमुखता से की जाती है। वहीं अगर पुरे भारत की बात किया जाये तो 12 मिलियन टन उत्पादन सोयाबीन का होता है। भारत में सबसे अधिक सोयाबीन की खेती मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान में उत्पादित होती है। मध्य प्रदेश का सोयाबीन उत्पादन में 45 प्रतिशत जबकि महाराष्ट्र का 40 प्रतिशत हिस्सा है। इसके अलावा बिहार में किसान इसकी खेती कर रहे है। मध्यप्रदेश के इंदौर में सोयाबीन रिसर्च सेंटर है। आज हम जीकेन केमिकल्ज़ के माध्यम से किसानों को सोयाबीन की खेती की जानकारी दें रहे हैं। आप यहाँ सोयाबीन की खेती कैसे करें इसकी जानकारी प्राप्त कर रहें है।
सोयाबीन की खेती के लिए जलवायु
इसकी खेती के लिए अगर देखा जाये तो गर्म जलवायु सबसे अच्छी मानी जानती है। इसके साथ ही इसकी खेती के लिए 27-32 डिग्री सेल्सियम तापमान होना जरुरी है। सोयाबीन की खेती के लिए अगर मिट्टी की बात किया जाये तो दोमट मिट्टी सबसे ज्यादा उपजाऊ माना जाता है। वहीँ अगर मिटटी के पीएच मान की बात किया जाये तो 6.0 से 7.5 सेल्सियस होना चाहिए ।
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रबी के फसल की कटाई के बाद इसकी अच्छे से जुताई करनी चाहिए। यह सोयाबीन की फसल के लिए काफी अच्छा साबित होता है। गहरी जुताई के लिए रिजिड टाईन कल्टीवेटर अथवा मोल्ड बोर्ड प्लाऊ का प्रयोग करें। प्रति तीन वर्षों बाद खेत का समतलीकरण जरूर करें। खेत की ग्रीष्मकालीन जुताई के बाद सोयाबीन की फसल को बोया जाना चाहिए। सोयाबीन की बुवाई में इस बात का विशेष ध्यान रखें कि पहले फसल सीजन में बोई फसल के साथ नहीं बोना चाहिए। एक बात और 100 मिमी वर्षा होने पर ही इसकी बुवाई करना उचित रहता है। इससे कम बारिश में इसकी बुवाई नहीं करनी चाहिए।
सोयाबीन के प्रमुख कीट
तना छेदक कीट (stem borrer ) सफ़ेद मक्खी (बेमेशिया टिबाकी) पहचान
यह मक्खियाँ 2 मि मि लम्बी होती है। इनका रंग भूरे कलर के साथ चमकदार काला होता है।मादा मख्खी अक्सर अपने अंडे पत्ती की निचली सतह पर दे देती है , जो हलके पिले रंग के होते है। यह हमेशा से पौधे के तनें के अंदर रहती है , इसके प्रकोप से किसान की फसल एकदम से ख़राब हो जाती है। Kehar (Profenofos 50% EC) का प्रयोग कर सकते है।
सोयाबीन में इल्ली का प्रकोप
बारिश के मौसम में अक्सर फसलों कई रोग और कीट का प्रकोप अपने आप बढ़ जाता है।अक्सर यह कीट नमी में ही पनपते है और फसलों को नुकशान पहुंचते है। जिससे अक्सर यह देखा गया है कि किसान परेशान रहते है और उनकी पैदावार कम हो जाती है।कभी - कभी यह कीट किसानों की पूरी फसल को ख़राब कर देते है। जिससे उन्हें काफी हानि उठानी पड़ती है। इसके लिए आप Stello (Emamectin Benzoate 5% SG) का प्रयोग कर सकते है। यह सोयाबीन में लगने वाली इल्ली को पूरी तरह से नष्ट कर देता है।
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पीला मोजेक रोग की पहचान
पीली मोजेको रोग से अक्सर पौधे का बढ़ना काम हो जाता है। फसलों में अक्सर इस रोग के कारण ऐंठ जाना, सिकुड़ जाना , इत्यादि तरह के अलग - अलग लक्षण दिखाई पड़ते है। कभी - कभी तो पत्तियाँ एकदम से खुरदुरी हो जाती है और इनपर सलवट पड़ जाती है। जिसकी वजह से किसान की फसल ख़राब होने लगती है। प्रारंभ में फसल पर कुछ ही पौधे पर प्रकट होते हैं और धीरे -धीरे बढक़र भयंकर रूप धारण कर लेते हैं। रोगग्रस्त फसल में शुरू में खेत में कहीं-कहीं स्थानों पर कुछ पौधों में चितकबरे गहरे हरे पीले धब्बे दिखाई देते हैं और कुछ दिन बाद यह बिलकुल पिले होकर पुरे खेत में फ़ैल जाते है। जिससे फसल ख़राब हो जाती है। इसके लिए आप GEEKEN CHEMICALS का बना प्रोडक्ट fogal plus ( thiamethoxam 25%wg) का प्रयोग कर सकते है।
निष्कर्ष
किसान भाइयों आपने यहाँ पर सोयाबीन से जुडी खेती के बारें में जाना। आशा है कि आपको हमारा यह ब्लॉग पसंद आया होगा। आप इसी तरह और भी ब्लॉग को पढ़ने के लिए GEEKEN CHEMICALS के साथ बनें रहें। GEEKEN CHEMICALS भारत में सबसे अच्छी एग्रोकेमिकल कंपनी है जो हमारे देश के किसानों को फसल सुरक्षा उत्पादों की सर्वोच्च गुणवत्ता प्रदान करती है। किसान भाइयों आप हमारे इस लेख को अपने दोस्तों , रिश्तेदारों को भी शेयर कर सकते है। जिससे ज्यादा से ज्यादा किसान भाइयों तक यह जानकारी पहुँच सकें। आप Geeken Chemicals India Limited से सम्बंधित किसी भी अन्य जानकारी के लिए कॉल ( +91 9999570297) भी कर सकते है।
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